
प्रतीकात्मक फोचो, सोर्स- सोशल मीडिया
Shutdown in America: अमेरिका में सरकारी ‘शटडाउन’ ने हाहाकार मचा रखा है। फंडिंग की कमी से सरकारी कामकाज पूरी तरह ठप हो गए हैं। प्रमुख विमानन कंपनियों ने लगातार दूसरे दिन 1,000 से अधिक उड़ानें रद्द की हैं। इस कारण से हवाई यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। अमेरिकी फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन (एफएए) ने 40 प्रमुख हवाई अड्डों पर यातायात सीमित करने का आदेश दिया है।
अमेरिका में सरकारी ‘शटडाउन’ के चलते संकट गहरा गया है। फंडिंग की कमी के कारण सरकारी सेवाएं ठप होने लगी हैं। यह शटडाउन रिकॉर्ड 39 दिनों तक जारी है। इसका सबसे ज़्यादा असर हवाई यात्रा पर पड़ रहा है। शनिवार को 1,000 से अधिक उड़ानें रद्द कर दी गईं और 5,000 उड़ानें विलंबित (देरी) हो गईं। कुल मिलाकर, फ्लाइटअवेयर के अनुसार, 6,000 से अधिक उड़ानें बाधित रहीं। अमेरिकी कर्मचारियों को बिना वेतन काम करना पड़ रहा है। इससे कई शहरों में कर्मचारियों को खाने-पीने के लाले पड़ गए हैं।
फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन (एफएए) के सरकारी कामकाज बंद होने के कारण, देशभर के 40 प्रमुख हवाई अड्डों पर उड़ानों को सीमित करने का आदेश जारी हुआ है। उड़ानों में व्यापक व्यवधान का मुख्य कारण कर्मचारियों की कमी है, क्योंकि हवाई यातायात नियंत्रकों (ATC) को एक महीने से अधिक समय से भुगतान नहीं किया गया है।
एफएए उन नियंत्रकों पर तनाव कम करने के लिए उड़ानों में कटौती कर रहा है जो बिना वेतन के काम कर रहे हैं और लगातार काम से छुट्टी ले रहे हैं। न्यूयॉर्क शहर के आसपास के पूर्वी तट के कई हवाई अड्डों पर उड़ानें रद्द और विलंबित रहीं। उत्तरी कैरोलिना के चार्लोट हवाई अड्डे पर शनिवार सुबह सबसे अधिक प्रभाव पड़ा, जहां दोपहर तक 130 से अधिक उड़ानें रद्द कर दी गईं। इसके अलावा, अटलांटा, शिकागो, डेनवर और न्यू जर्सी के न्यूार्क हवाई अड्डों पर भी व्यापक व्यवधान देखे गए।
विशेषज्ञों का अनुमान है कि यदि शटडाउन जारी रहा तो इसका असर यात्रा उद्योग और अर्थव्यवस्था पर और गहरा हो सकता है। यदि शटडाउन लंबा खिंचा, तो रद्द हुई उड़ानों की संख्या तेजी से बढ़ सकती है। एफएए ने घोषणा की है कि 14 नवंबर तक उड़ानों में 10 प्रतिशत तक की और कमी की जाएगी।
शटडाउन का असर अब केवल घरेलू स्तर तक सीमित नहीं है। यह अब दूसरे देशों तक पहुंच गया है। शटडाउन शुरू होने के लगभग छह सप्ताह बाद, अमेरिकी सैन्य अड्डों पर कार्यरत यूरोपीय देशों (जैसे इटली, पुर्तगाल और अन्य जगहों) के हजारों स्थानीय कर्मचारी बिना वेतन के काम कर रहे हैं।
यह भी पढ़ें: स्ट्रॉन्ग रूम में CCTV बंद, आधी रात को पिकअप की एंट्री, RJD के आरोपों पर चुनाव आयोग ने दिया जवाब
कुछ मामलों में, मेजबान देशों ने अस्थायी रूप से बिलों का भुगतान किया है, इस उम्मीद में कि अमेरिका बाद में इसकी भरपाई करेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि बड़े नुकसान से बचने के लिए इस चुनौतीपूर्ण संकट का समाधान जल्द निकालना आवश्यक है।






