
अमेरिका ने दागी मिसाइल, मिनटमैन III, फोटो ( सो. सोशल मीडिया)
Minuteman III ICBM Test: अमेरिकी स्पेस फोर्स के अनुसार, अमेरिका ने बिना हथियार वाली मिनटमैन-III इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) का सफल परीक्षण किया है। यह मिसाइल कैलिफोर्निया स्थित वैंडेनबर्ग एयर फोर्स बेस से दागी गई। यह परीक्षण GT-254 मिशन का हिस्सा था, जिसका उद्देश्य ICBM प्रणाली की विश्वसनीयता, संचालन क्षमता और सटीकता का मूल्यांकन करना था।
परीक्षण की शुरुआत 625वें स्ट्रैटेजिक ऑपरेशंस स्क्वाड्रन की टीम ने एयरबोर्न लॉन्च कंट्रोल सिस्टम के जरिए की। यह सिस्टम मिसाइल कमांड और कंट्रोल के लिए बैकअप के रूप में कार्य करता है।
इस परीक्षण का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि यह प्रणाली सुचारू रूप से कार्य कर रही है या नहीं। कमांडर लेफ्टिनेंट कर्नल कैरी रे ने बताया कि यह टेस्ट केवल मिसाइल लॉन्च करने के लिए नहीं, बल्कि पूरे ICBM सिस्टम की कार्यक्षमता और विश्वसनीयता की जांच करने के लिए किया गया था।
मिनटमैन-3 मिसाइल ने लगभग 4,200 मील (यानी करीब 6,759 किलोमीटर) की दूरी तय करते हुए मार्शल आइलैंड्स स्थित रोनाल्ड रीगन बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस टेस्ट साइट पर सफलतापूर्वक अपने लक्ष्य को साधा। इस स्थान पर मौजूद रडार और सेंसर सिस्टम के माध्यम से मिसाइल की उड़ान और प्रदर्शन से जुड़े अहम आंकड़े एकत्र किए गए।
इस परीक्षण अभियान में अमेरिकी एयरफोर्स की तीनों मिसाइल विंग्स, वायोमिंग स्थित F.E. वॉरेन एयरफोर्स बेस के तकनीकी और मेंटेनेंस कर्मियों ने भाग लिया। यह पूरा अभ्यास अमेरिका की इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) प्रणाली की सुरक्षा, तत्परता और प्रभावशीलता बनाए रखने के उद्देश्य से किया गया था।
जनरल S.L. डेविस ने बताया कि जैसे-जैसे अमेरिका अपनी पुरानी मिसाइल प्रणाली को नए LGM-35A सेंटिनल सिस्टम में बदलने की दिशा में आगे बढ़ रहा है, वैसे-वैसे मिनटमैन-3 मिसाइल की विश्वसनीयता और तत्परता को परखना बेहद जरूरी हो गया है। उनके अनुसार, GT 254 परीक्षण ने यह साबित कर दिया है कि मिनटमैन-3 अब भी पूरी तरह सक्षम और भरोसेमंद है।
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अमेरिका के पास करीब 400 इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइलें हैं, जो रूस और चीन जैसे प्रतिद्वंद्वी देशों के खिलाफ उसकी रणनीतिक रक्षा प्रणाली का अहम हिस्सा हैं। इन्हें ‘मिनटमैन’ इसलिए कहा जाता है क्योंकि ये मात्र एक मिनट में लॉन्च के लिए तैयार हो जाती हैं। अमेरिका ने 2030 तक इन मिसाइलों को नई पीढ़ी की मिसाइलों से बदलने की योजना बनाई है, लेकिन तब तक इनके नियमित परीक्षण जारी रहेंगे।






