US के पूर्व अफसर का चौंकाने वाला दावा
वाशिंगटन: अमेरिका को दुनिया की सबसे शक्तिशाली सैन्य ताकत माना जाता है, इस वक्त हथियारों की भारी कमी से जूझ रहा है। अमेरिका सेना के पूर्व कर्नल और पेंटागन के पूर्व सलाहकार डगलस मैकग्रेगर ने इस पर गंभीर चिंता जताते हुए बड़ा बयान दिया है। उन्होंने डोनाल्ड ट्रंप को आगाह करते हुए कहा है कि मौजूदा हालात में अगर अमेरिका किसी युद्ध में शामिल होता है, तो वह केवल 8 दिन तक ही लड़ पाएगा। इसके बाद अमेरिका को परमाणु हथियारों का सहारा लेना पड़ सकता है।
मैकग्रेगर की यह चेतावनी ऐसे समय आई है जब ट्रंप ने हाल ही में यूक्रेन को अमेरिकी हथियारों की एक बड़ी खेप देने की घोषणा की है। अमेरिका लगातार रूस के खिलाफ यूक्रेन की सैन्य सहायता कर रहा है, लेकिन अब यह मदद खुद अमेरिका की रक्षा क्षमताओं को कमजोर करती नजर आ रही है।
America needs to stop sending weapons abroad.
Very reliable sources tell me we have roughly 8 days of offensive and defensive missiles on hand and readily available.
Translation, we can fight an 8 days war and then we would have to go nuclear.
— Douglas Macgregor (@DougAMacgregor) July 18, 2025
डगलस मैकग्रेगर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर चिंता जताते हुए कहा है कि अमेरिका के पास पारंपरिक युद्ध लड़ने के लिए केवल 8 दिन का हथियार भंडार बचा है। इसके बाद न्यूक्लियर विकल्प ही एकमात्र रास्ता बचेगा। उन्होंने अमेरिका की घटती मिसाइल क्षमताओं पर सवाल उठाए और जोर देकर कहा कि अब समय आ गया है जब अमेरिका को अपने हथियारों की सप्लाई विदेशों में भेजना बंद कर देनी चाहिए।
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अमेरिका की छवि अब तक एक ऐसे देश की रही है जो दुनिया के किसी भी हिस्से में युद्ध छेड़ने की क्षमता रखता है। अगर खुद अमेरिका को मिसाइलों की कमी का सामना करना पड़े, तो यह स्थिति न सिर्फ उसके लिए बल्कि पूरी दुनिया की सुरक्षा व्यवस्था के लिए भी एक गंभीर चेतावनी मानी जाएगी।
इस दौरान रूस ने अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों द्वारा यूक्रेन को लंबी दूरी की मिसाइलें देने पर कड़ा विरोध जताया है। रूस का आरोप है कि यूक्रेन इन हथियारों का उपयोग रूसी नागरिक क्षेत्रों पर हमले के लिए कर रहा है, जिससे शांति स्थापित करने की कोशिशों को गहरा नुकसान पहुंच रहा है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने चेतावनी दी है कि अगर यूक्रेन को ऐसे घातक हथियार मिलते हैं, तो इससे युद्ध की दिशा बदल सकती है। साथ ही, इससे यह सवाल भी खड़ा हो जाएगा कि क्या NATO देश अब प्रत्यक्ष रूप से इस संघर्ष में शामिल हो चुके हैं।