जेलेंस्की की एक चाल से हिल गया उत्तर कोरिया, (डिजाइन फोटो)
प्योंगयांग: यूक्रेन और रूस के बीच जारी युद्ध अब केवल इन दो देशों की सीमाओं तक सीमित नहीं रहा है। यह संघर्ष अब उन देशों को भी प्रभावित करने लगा है जो प्रत्यक्ष रूप से युद्ध में शामिल नहीं थे। हाल ही में यूक्रेन ने रूस के भीतर 4500 किलोमीटर दूर तक एक अभूतपूर्व ड्रोन हमला किया, जिसने न केवल रूस को बल्कि उसके सहयोगी देशों को भी हिलाकर रख दिया।
इस हमले का असर खास तौर पर उत्तर कोरिया पर भी पड़ा है, जो रूस का मजबूत समर्थक रहा है। उत्तर कोरिया ने रूस को न केवल सैन्य सहयोग दिया है, बल्कि 10,000 से अधिक सैनिक भी युद्ध में भेजे हैं। इसके अतिरिक्त, उसने रूस को टैंक और हथियारों की आपूर्ति भी की है। यूक्रेन का यह हमला अब रूस के मित्र राष्ट्रों के लिए भी खतरे की घंटी बन गया है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, यूक्रेन ने लगभग डेढ़ साल की तैयारी के बाद रूस की सीमा में हमला किया। इस हमले में ड्रोन को सेब के डिब्बों में छिपाकर तस्करी के जरिए रूस के एयरबेस तक पहुंचाया गया। वहां से एक साथ 117 ड्रोन उड़ाए गए और तय लक्ष्यों को सफलतापूर्वक निशाना बनाया गया। यह योजना इतनी गुप्त और सटीक थी कि रूस की कड़ी सुरक्षा भी इसे रोक नहीं पाई। अब यही रणनीति उत्तर कोरिया को चिंतित कर रही है।
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यूक्रेन की हिम्मत और सोच-समझकर बनाई गई रणनीति दुनिया की बड़ी ताकतों को भी चिंता में डाल सकती है। किम जोंग उन के पास चाहे 50 परमाणु हथियार हों, लेकिन यूक्रेन की हालिया हमले ने यह स्पष्ट कर दिया है कि आधुनिक युद्ध केवल आमने-सामने की लड़ाई नहीं रह गया है, बल्कि यह अब छिपकर, भीतर तक जाकर और बेहद रणनीतिक तरीके से भी लड़ा जा सकता है।
उत्तर कोरिया अच्छी तरह समझता है कि यदि यूक्रेन रूस के अंदर ऐसी कार्रवाइयां कर सकता है, तो अमेरिका और दक्षिण कोरिया जैसे उसके पारंपरिक विरोधी भी इसी तरह की रणनीति अपनाकर हमला कर सकते हैं।