ट्रंप को चेतावनी, फोटो (सो.सोशल मीडिया)
Trump Foreign Policy Crisis: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की कई नीतियां अब उनके खिलाफ जाती दिख रही हैं। एक तरफ टैरिफ लगाकर उन्होंने अनेक देशों को नाराज किया है, वहीं पाकिस्तान के प्रति नरम रुख भी आलोचना का कारण बन गया है।
बीते दिनों 44 अमेरिकी सीनेटरों ने विदेश मंत्री मार्को रुबियो को पत्र लिखकर पाकिस्तान सेना प्रमुख फील्ड मार्शल आसिम मुनीर पर बैन लगाने की मांग की थी। यह मामला शांत ही हुआ था कि अब पेंटागन के पूर्व अधिकारी माइकल रुबिन ने ट्रंप की विदेश नीति पर खुलकर सवाल उठाए हैं।
रुबिन ने कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप ने पाकिस्तान को प्रमुख गैर-NATO सहयोगी घोषित करके रणनीतिक भूल की है। उनके मुताबिक, पाकिस्तान को समर्थन देना हर स्तर पर अमेरिका के हितों के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि अमेरिका को पाकिस्तान को गले लगाना बंद करना चाहिए।
यह रणनीतिक रूप से बिल्कुल फिजूल है। पाकिस्तान को तुरंत आतंकवादी देश घोषित कर देना चाहिए। रुबिन ने यह भी स्पष्ट किया कि पाकिस्तान लंबे समय से चरमपंथ को संरक्षण देता आया है और अमेरिका को इस हकीकत को समझने में देरी हो रही है।
पाकिस्तान के सेना प्रमुख फील्ड मार्शल आसिम मुनीर के संभावित व्हाइट हाउस दौरे पर भी रुबिन ने नाराजगी जताई। एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने कहा, कि अगर आसिम मुनीर अमेरिका आते हैं, तो उन्हें सम्मान नहीं बल्कि गिरफ्तार किया जाना चाहिए। उनका कहना है कि अमेरिकी प्रशासन को आतंकवाद से जुड़े मामलों में पाकिस्तान के सैन्य नेतृत्व की भूमिका को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
भारत-अमेरिका संबंधों को लेकर भी रुबिन ने ट्रंप प्रशासन की आलोचना की। उन्होंने अगस्त में भारत से आयातित कच्चे तेल पर लगाए गए 50% अतिरिक्त टैरिफ को बेतुका और हानिकारक निर्णय बताया।
रुबिन ने कहा कि अमेरिका को भारत के साथ किए गए बुरे व्यवहार के लिए माफी मांगनी चाहिए। पिछले एक साल में हमने संबंधों को काफी नुकसान पहुंचाया है। उन्होंने यह भी कहा कि ट्रंप भले ही माफी मांगने से बचते हों लेकिन राष्ट्रीय हित किसी भी नेता के निजी अहंकार से ऊपर होने चाहिए।
रुबिन का मानना है कि भारत अमेरिका के लिए एक आवश्यक रणनीतिक साझेदार है। ऐसे में गलत फैसलों से रिश्तों में दूरी बढ़ाना अमेरिका के दीर्घकालिक हितों के खिलाफ है। उन्होंने शांतिपूर्ण कूटनीति अपनाने और भारत के प्रति सम्मानजनक व्यवहार की वकालत की।
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रुबिन के बयानों से साफ है कि ट्रंप की विदेश नीति को लेकर अमेरिकी प्रशासन के भीतर भी असहमति गहरी हो गई है। पाकिस्तान की ओर झुकाव और भारत पर टैरिफ लगाने जैसे कदमों से न सिर्फ वैश्विक संदेश कमजोर हुआ है, बल्कि प्रमुख साझेदारियों पर भी असर पड़ा है।