
ट्रंप ने दी परमाणु हथियार टेस्टिंग की मंजूरी, फोटो (सो. सोशल मीडिया)
US Nuclear Weapon Testing: दक्षिण कोरिया के शहर बुसान में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की गुरुवार को होने वाली बैठक से पहले ही अमेरिकी राष्ट्रपति ने वैश्विक राजनीतिक माहौल को हिला कर रख दिया। ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रूथ सोशल पर एक पोस्ट जारी कर बताया कि उन्होंने अमेरिकी रक्षा विभाग को परमाणु हथियारों की तत्काल टेस्टिंग शुरू करने का आदेश दिया है।
ट्रंप ने लिखा कि संयुक्त राज्य अमेरिका के पास दुनिया के किसी भी देश की तुलना में सबसे अधिक परमाणु हथियार हैं। यह सब मेरे पहले कार्यकाल में ही संभव हो पाया जब मौजूदा हथियारों का नवीनीकरण और पुनर्निर्माण किया गया। इसकी अपार विनाशकारी शक्ति के कारण मुझे ऐसा करना बुरा लगता है लेकिन मेरे पास कोई विकल्प नहीं था।
इस पोस्ट में ट्रंप ने आगे लिखा कि रूस दूसरे स्थान पर है और चीन तीसरे स्थान पर, लेकिन अगले पांच सालों में चीन बराबरी पर पहुंच सकता है। उन्होंने कहा आगे कहा कि अन्य देशों के परीक्षण कार्यक्रमों को देखते हुए मैंने युद्ध विभाग को निर्देश दिया है कि वह हमारे परमाणु हथियारों की टेस्टिंग तुरंत शुरू करे। यह प्रक्रिया आज से शुरू होगी।
ट्रंप का यह बयान ऐसे समय आया था जब वे कुछ ही घंटों में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात करने वाले थे। इस घोषणा ने न केवल चीन बल्कि रूस और अन्य परमाणु संपन्न देशों में भी हलचल पैदा कर दी है। अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों का मानना है कि अगर अमेरिका वास्तव में टेस्टिंग शुरू करता है तो यह वैश्विक हथियारों की दौड़ को फिर से तेज कर सकता है जिससे विश्व शांति पर गंभीर खतरा मंडरा सकता है।
इससे पहले, ट्रंप ने अपने पोस्ट में कहा था कि उन्हें शी जिनपिंग से मुलाकात का बेसब्री से इंतजार है और उन्होंने चीन के राष्ट्रपति को एक महान देश का महान नेता बताया था। बुसान में मुलाकात के दौरान ट्रंप ने कहा कि हमारे बीच हमेशा अच्छे संबंध रहे हैं और यह बैठक बहुत सफल रहने वाली है।
डोनाल्ड ट्रंप के हालिया पोस्ट को ध्यान से देखें तो उनकी चिंता साफ झलकती है। असल में, ट्रंप को सबसे ज्यादा डर चीन और रूस से है। उन्हें आशंका है कि आने वाले पांच सालों में न्यूक्लियर हथियारों के मामले में ये दोनों देश अमेरिका से आगे निकल सकते हैं। इसी डर के चलते उन्होंने परमाणु परीक्षण फिर से शुरू करने का आदेश दिया है। यह 1992 के बाद पहली बार होगा जब अमेरिका न्यूक्लियर टेस्ट करेगा जो व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि के उल्लंघन जैसा कदम माना जा रहा है।
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दरअसल, यह कदम ट्रंप की अमेरिका फर्स्ट नीति का नया अध्याय है। अपने पहले कार्यकाल में भी उन्होंने अमेरिका के परमाणु भंडार को कई गुना बढ़ाने की कोशिश की थी, लेकिन कांग्रेस ने रोक लगा दी थी। अब सत्ता में लौटने के बाद रूस के हाइपरसोनिक मिसाइल परीक्षण और चीन के तेजी से बढ़ते न्यूक्लियर वारहेड्स को देखकर ट्रंप ने अमेरिका को भी उसी दिशा में तैयार करना शुरू कर दिया है। रूस और चीन जिस गति से अपने परमाणु हथियार को बढ़ा रहे हैं, उसके वजह से ट्रंप को चिंता सताने लगी है। इसके अलावा, रूस-चीन की नजदीकी भी उन्हें परेशान कर रही है। रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान उन्होंने इस गठजोड़ का असर देख लिया था। यही कारण है कि ट्रंप अब खुलकर चीन के सैन्य-आर्थिक उदय और रूस की आक्रामक नीतियों को लेकर अपनी बेचैनी दिखा रहे हैं।






