अमेरिका फर्स्ट’ के नाम पर ट्रंप ने कर दिया खेला, फोटो (सो. एआई डिजाइन)
US News In Hindi: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सरकार ने वैश्विक स्तर पर एक अहम कूटनीतिक कदम उठाते हुए दुनिया भर में तैनात लगभग 30 अमेरिकी राजदूतों को वापस बुलाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। प्रशासन से जुड़े अधिकारियों के अनुसार, यह फैसला अमेरिकी विदेश नीति को ट्रंप के ‘अमेरिका फर्स्ट’ एजेंडे के अनुरूप ढालने के उद्देश्य से लिया गया है।
हालांकि, यह भी स्पष्ट किया गया है कि इन राजदूतों को बर्खास्त नहीं किया जा रहा बल्कि उन्हें अमेरिकी विदेश विभाग (स्टेट डिपार्टमेंट) में अन्य महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां सौंपी जाएंगी।
स्टेट डिपार्टमेंट के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस फैसले को सामान्य प्रशासनिक प्रक्रिया बताते हुए कहा कि हर नए या दोबारा चुने गए राष्ट्रपति के कार्यकाल में इस तरह के बदलाव होते हैं। अधिकारी के मुताबिक, राजदूत राष्ट्रपति का व्यक्तिगत प्रतिनिधि होता है और यह राष्ट्रपति का अधिकार है कि वह सुनिश्चित करें कि विदेशों में तैनात अधिकारी उनकी नीतियों और प्राथमिकताओं को प्रभावी ढंग से लागू करें।
सूत्रों के अनुसार, कम से कम 29 देशों में तैनात मिशन प्रमुखों को पहले ही यह जानकारी दे दी गई थी कि उनका कार्यकाल जनवरी 2026 में समाप्त हो जाएगा। इनमें से अधिकांश राजदूत करियर फॉरेन सर्विस अधिकारी हैं जिनकी नियुक्ति पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन के कार्यकाल के दौरान हुई थी। ये अधिकारी ट्रंप के दूसरे कार्यकाल की शुरुआती छंटनी से बच गए थे लेकिन अब व्हाइट हाउस से जारी नोटिस के बाद उनकी वापसी तय मानी जा रही है।
इस फैसले का सबसे ज्यादा असर अफ्रीकी देशों पर पड़ा है। नाइजीरिया, सेनेगल, रवांडा, युगांडा, सोमालिया और मेडागास्कर समेत कुल 13 अफ्रीकी देशों से अमेरिकी राजदूतों को वापस बुलाया जा रहा है। एशिया क्षेत्र में भी फिजी, लाओस, मार्शल आइलैंड्स, पापुआ न्यू गिनी, फिलीपींस और वियतनाम जैसे देशों में तैनात राजदूत प्रभावित हुए हैं।
यूरोप में आर्मेनिया, नॉर्थ मैसेडोनिया, मोंटेनेग्रो और स्लोवाकिया से राजदूतों की वापसी तय की गई है। इसके अलावा मध्य पूर्व में अल्जीरिया और मिस्र, दक्षिण एवं मध्य एशिया में नेपाल और श्रीलंका, जबकि लैटिन अमेरिका में ग्वाटेमाला और सूरीनाम से भी अमेरिकी राजदूतों को वापस बुलाया जाएगा।
इस फैसले को लेकर अमेरिका में सियासी प्रतिक्रिया भी सामने आई है। डेमोक्रेटिक पार्टी ने ट्रंप प्रशासन के इस कदम की तीखी आलोचना की है। डेमोक्रेट नेताओं का कहना है कि पहले से ही कई देशों में अमेरिकी राजदूतों के पद खाली हैं और ऐसे में यह फैसला अमेरिकी कूटनीति को कमजोर कर सकता है।
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सीनेट फॉरेन रिलेशंस कमेटी की शीर्ष डेमोक्रेट सीनेटर जीन शाहीन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट करते हुए कहा कि अनुभवी और योग्य राजदूतों को हटाकर ट्रंप प्रशासन अमेरिका की वैश्विक नेतृत्व भूमिका को कमजोर कर रहा है। उनके मुताबिक, इससे चीन और रूस जैसे देशों को अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपना प्रभाव बढ़ाने का मौका मिलेगा।