थाईलैंड-कंबोडिया ने तनाव (फोटो- सोशल मीडिया)
Thailand Cambodia Conflict: एशिया महाद्विप में युद्ध की आहट तेज हो गई है। थाईलैंड और कंबोडिया के बीच गुरुवार को एक-दूसरे पर हमला किया। इसमें थाईलैंड के 12 नागरिकों की मौत हो गई और कई लोग घायल हो गए। इस घटना के बाद दोनों देशों के रिश्ते तवानपूर्ण हो गए है। दोनों ने अपने राजनायिकों को तुरंत स्वादेश लौटने के आदेश दे दिए हैं।
जानकारी के मुताबिक, दोनों देशों के बीच ये खूनी संघर्ष सीमा पर स्थित 800 साल पुराने शिव मंदिर को लेकर हुई है। जिसमें राॅकेट लाॅन्चर से लेकर F-16 फाइटर जेट का इस्तेमाल हुआ है। आइए आपको बताते हैं कि 800 साल पुराने शिव मंदिर का इतिहास क्या है? और क्यों इसे लेकर थाईलैंड और कंबोडिया युद्ध करने को भी तैयार है।
थाईलैंड और कंबोडिया सीमा पर स्थित जिस शिव मंदिर को लेकर सारा विवाद है उसे प्रीह-विहार के नाम से जाना जाता है। जानकारी के मुताबिक इस मंदिर का निर्माण 9वीं से 12वीं शताब्दी के बीच खमेर साम्राज्य के शासकों द्वारा कराया गया था। भगवान शिव को समर्पित यह भव्य मंदिर यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल है। क्योंकि ये मंदिर दोनों देशों की सीमा के बीच में है, जिस कारण यह लंबे समय से दोनों देशों के बीच विवाद का विषय बना हुआ है।
स्थानिय मीडिया के अनुसार, बुधवार को थाईलैंड के पांच सैनिक लैंडमाइंस की चपेट में आकर घायल हो गए, जिसके बाद गुरुवार सुबह दोनों देशों की सेनाओं के बीच गोलीबारी शुरू हो गई। विवाद का केंद्र प्रिहा-विहार मंदिर क्षेत्र है, जिस पर दोनों देशों का दावा है। दशकों से चले आ रहे इस तनाव के चलते अब 800 किलोमीटर लंबी सीमा पर सैनिक आमने-सामने हैं।
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1962 में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) ने प्राह विहार मंदिर को कंबोडिया के अधिकार क्षेत्र में माना था, लेकिन थाईलैंड अब भी इसके आस-पास के क्षेत्रों पर नियंत्रण बनाए हुए है। कंबोडिया के नागरिक इस मंदिर में पूजा-अर्चना करना चाहते हैं, लेकिन थाई सैनिकों की उपस्थिति के कारण उन्हें वहाँ जाना कठिन हो जाता है। इसके चलते वर्षों से दोनों देशों के बीच समय-समय पर तनाव बढ़ता रहा है। सबसे दिलचस्प बात यह है कि दोनों ही देश बौद्ध बहुल हैं, जबकि हिंदू वहाँ अल्पसंख्यक हैं।