
बांग्लादेश के लिए क्या है खालिदा के बेटे का 'मास्टर प्लान' (सोर्स-सोशल मीडिया)
Tarique Rahman Political Vision: बांग्लादेश की राजनीति में 25 दिसंबर 2025 का दिन एक ऐतिहासिक मोड़ के रूप में दर्ज हो गया है। पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के बेटे और BNP के कार्यकारी अध्यक्ष तारिक रहमान 17 वर्षों के लंबे वनवास के बाद ढाका लौटे हैं।
उनके स्वागत में उमड़े लाखों के जनसैलाब ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वे आगामी चुनावों में प्रधानमंत्री पद के सबसे मजबूत दावेदार हैं। देश में जारी हिंसा और अस्थिरता के बीच रहमान एक नए ‘मास्टर प्लान’ के साथ आए हैं, जो बांग्लादेश की आंतरिक और विदेश नीति को पूरी तरह बदलने का दम रखता है।
तारिक रहमान ने अपनी विदेश नीति का मूल मंत्र “न दिल्ली, न पिंडी – बांग्लादेश सबसे पहले” घोषित किया है। उनका मानना है कि बांग्लादेश को किसी बाहरी दबाव में आए बिना स्वतंत्र निर्णय लेने चाहिए।
उन्होंने पिछली शेख हसीना सरकार की भारत-परस्त नीतियों और वर्तमान अंतरिम सरकार के पाकिस्तान के प्रति बढ़ते झुकाव, दोनों से दूरी बनाने के संकेत दिए हैं। रहमान का तर्क है कि दीर्घकालिक कूटनीतिक फैसले केवल एक निर्वाचित सरकार को ही करने चाहिए। वे एक ऐसी संप्रभु नीति पर जोर दे रहे हैं जहाँ बांग्लादेश का राष्ट्रीय हित सर्वोपरि हो।
रहमान के एजेंडे में शासन में पारदर्शिता लाना सबसे ऊपर है। उन्होंने ई-गवर्नेंस, न्यायिक सुधार और व्हिसलब्लोअर प्रोटेक्शन जैसे कड़े कानून लागू करने का वादा किया है। इसके साथ ही, उन्होंने देश की अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए महिलाओं की वर्कफोर्स में भागीदारी बढ़ाने का प्रस्ताव रखा है।
उनका लक्ष्य लेबर मार्केट में महिलाओं की हिस्सेदारी को 43% से ऊपर ले जाना है। इसके लिए उन्होंने सरकारी और निजी क्षेत्रों में अनिवार्य डे-केयर सेंटर खोलने की योजना बनाई है, ताकि महिलाओं को करियर और परिवार के बीच चुनाव न करना पड़े।
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देश में अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों के बीच तारिक रहमान ने सांप्रदायिक सद्भाव का कड़ा संदेश दिया है। उन्होंने स्पष्ट कहा है कि धर्म व्यक्तिगत मामला है, लेकिन सुरक्षा पाना हर नागरिक का मौलिक अधिकार है।
उन्होंने अपने समर्थकों को कट्टरपंथी समूहों से सतर्क रहने की चेतावनी दी है और खुद को एक आधुनिक, समावेशी नेता के रूप में पेश किया है। 27 दिसंबर को वोटर रजिस्ट्रेशन और NID की प्रक्रिया पूरी करने के साथ ही रहमान औपचारिक रूप से चुनावी मैदान में अपनी दावेदारी पेश करेंगे, जो बांग्लादेश के भविष्य के लिए निर्णायक साबित होगा।






