तालिबान नेताओं पर ICC का बड़ा एक्शन, फोटो (सो.सोशल मीडिया)
अफगानिस्तान में महिलाओं पर हो रहे तालिबान के अत्याचार अब अंतरराष्ट्रीय मंच तक पहुंच चुके हैं। इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट (ICC) ने तालिबान के दो शीर्ष नेताओं के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया है। इन नेताओं में तालिबान के सर्वोच्च धार्मिक नेता हैबतुल्लाह अखुंदजादा का नाम भी शामिल है।
तालिबान की नीतियों के तहत अफगान महिलाओं को न केवल शिक्षा से वंचित रखा जा रहा है, बल्कि उन्हें बिना पुरुष संरक्षक के घर से बाहर निकलने की भी अनुमति नहीं है। हाल ही में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इस मुद्दे पर एक प्रस्ताव पारित कर अफगानिस्तान से आग्रह किया था कि वह लड़कियों की शिक्षा पर प्रतिबंध न लगाए। इसके बाद ICC ने यह सख्त कदम उठाया है।
इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट (ICC) ने तालिबान के सर्वोच्च धार्मिक नेता हेबतुल्ला अखुंदजादा और मुख्य न्यायाधीश अब्दुल हकीम हक्कानी के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किए हैं। रायटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, कोर्ट ने कहा है कि उसके पास ऐसे पर्याप्त साक्ष्य हैं जो दर्शाते हैं कि अफगानिस्तान में महिलाओं के साथ गंभीर अत्याचार हो रहे हैं, जिन्हें मानवता के खिलाफ अपराध माना जा सकता है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि तालिबान की नीतियों का विरोध करने वाली महिलाओं को विशेष रूप से निशाना बनाया जा रहा है।
तालिबान ने अफगानिस्तान की सत्ता में आने के बाद महिलाओं के अधिकारों पर गंभीर पाबंदियां लगाई हैं। मार्च 2022 में उन्होंने लड़कियों की माध्यमिक शिक्षा पर रोक लगा दी। इसके बाद दिसंबर 2022 में उन्हें विश्वविद्यालयों से बाहर कर दिया गया, और जनवरी 2023 में किसी भी प्रकार की उच्च शिक्षा तक उनकी पहुंच बंद कर दी गई।
महिलाओं को अब न तो सरकारी संस्थानों, न ही गैर-सरकारी संगठनों और निजी कंपनियों में काम करने की अनुमति है। तालिबान के आदेशों के अनुसार, महिलाएं सार्वजनिक स्थानों पर बिना किसी पुरुष अभिभावक के नहीं जा सकतीं।
साथ ही, महिला संचालित ब्यूटी पार्लरों और अन्य संस्थानों को भी बंद करवा दिया गया है। ‘Promotion of Virtue and Prevention of Vice’ कानून के तहत महिलाओं के लिए बुर्का पहनना अनिवार्य कर दिया गया है, और उनके सार्वजनिक परिवहन उपयोग पर भी रोक लगा दी गई है।
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अफगानिस्तान में महिलाओं की स्थिति को लेकर UN Women, एमनेस्टी इंटरनेशनल और ह्यूमन राइट्स वॉच ने अलग-अलग रिपोर्टें जारी की हैं। इन रिपोर्टों में खुलासा हुआ है कि जो महिलाएं तालिबान द्वारा लगाए गए कठोर नियमों का उल्लंघन करती हैं, उन्हें सार्वजनिक रूप से कोड़े मारे जाते हैं। इसके अलावा, उनके साथ यौन शोषण और बलात्कार जैसी घटनाएं भी सामने आई हैं।
महिलाओं की स्थिति को लेकर संयुक्त राष्ट्र महासभा ने हाल ही में एक प्रस्ताव पारित किया। इस प्रस्ताव में अफगानिस्तान में लड़कियों और महिलाओं के खिलाफ हो रहे अत्याचारों को तत्काल रोकने की अपील की गई है। खासतौर पर इसमें बालिकाओं की शिक्षा पर लगाए गए प्रतिबंधों को हटाने की मांग की गई है।