
तालिबान के दो बड़े दुश्मन 48 घंटे में एक-एक कर निपटे, फोटो (सो. सोशल मीडिया)
Afghanistan News in Hindi: अफगानिस्तान में सत्ता संभालने के बाद से तालिबान प्रशासन लगातार अपने विरोधियों और आतंकी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई करता आ रहा है। बीते 48 घंटे तालिबान के लिए खासे अहम रहे, जब उसके दो बड़े दुश्मन एक साथ कमजोर पड़े। पहला झटका इस्लामिक स्टेट खोरासान (ISIS-K) को लगा, जबकि दूसरा झटका तालिबान विरोधी खेमे को लगा है जिसमें अफगानिस्तान के पूर्व सेना जनरल शामिल थे।
इस्लामिक स्टेट खोरासान के कमांडर मोहम्मद गोरेन को तुर्की की खुफिया एजेंसी ने गिरफ्तार कर लिया है। तालिबान सरकार के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद के अनुसार, तालिबान ने ISIS से जुड़े आतंकियों की खुफिया जानकारी तुर्की के साथ साझा की थी। इसके बाद तुर्की की इंटेलिजेंस एजेंसी पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा क्षेत्र में सक्रिय हुई और सटीक कार्रवाई करते हुए गोरेन को पकड़ लिया।
हालांकि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ने इस गिरफ्तारी को लेकर कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की है, लेकिन अफगानिस्तान का दावा है कि पाकिस्तान में इस समय करीब 2,000 इस्लामिक स्टेट के आतंकी सक्रिय हैं। तालिबान का आरोप है कि ये आतंकी दक्षिण एशिया में बड़े हमलों की साजिश रच रहे हैं।
तुर्की की सरकारी समाचार एजेंसी अनादोलु के मुताबिक, सीरिया और इराक से जुड़े कई आतंकी नेटवर्क अब पाकिस्तान में शिफ्ट हो चुके हैं। तुर्की इन नेटवर्क्स को अपने राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा मानता है और इसी वजह से वह आतंकियों के खिलाफ सक्रिय अभियान चला रहा है।
तालिबान खुद भी इस्लामिक स्टेट खोरासान को अपने अस्तित्व के लिए सबसे बड़ा खतरा मानता है। तालिबान का दावा है कि ISIS-K को पाकिस्तान का अप्रत्यक्ष समर्थन मिलता है इसी वजह से वह कई बार पाकिस्तान पर इस संगठन को लेकर गंभीर आरोप लगा चुका है।
इसी बीच, गोरेन की गिरफ्तारी के कुछ ही घंटों बाद तालिबान के लिए एक और बड़ी खबर ईरान से आई। ईरान इंटरनेशनल की रिपोर्ट के अनुसार, गुरुवार (25 दिसंबर) को तेहरान में अफगानिस्तान के पूर्व सेना कमांडर जनरल इकरामुद्दीन सरी की अज्ञात हमलावरों ने हत्या कर दी। सरी 2021 में तालिबान के सत्ता में आने के बाद ईरान भाग गया था।
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हाल के दिनों में खबरें आई थीं कि इकरामुद्दीन सरी, तालिबान विरोधी नेता अहमद मसूद के बेटे से मिले थे। तालिबान सरी को अपने लिए बड़ा खतरा मानता था खासकर ऐसे समय में जब अफगानिस्तान की 14 राजनीतिक पार्टियां तालिबान को सत्ता से हटाने के लिए एकजुट होने की कोशिश कर रही हैं। इस गठबंधन की अगुवाई अहमद मसूद कर रहे हैं, जिनके पिता तालिबान के कट्टर विरोधी रहे हैं।






