यून सुक येओल, फोटो (सो. सोशल मीडिया)
South Korea News In Hindi: दक्षिण कोरिया के पूर्व राष्ट्रपति यून सुक येओल ने मंगलवार को सोल की एक अदालत में पेशी के दौरान उत्तर कोरिया में ड्रोन भेजने से जुड़े सभी आरोपों को नकार दिया। यून पर आरोप है कि उन्होंने पिछले साल 3 दिसंबर को मार्शल लॉ लागू करने को सही ठहराने के लिए उत्तर कोरिया को उकसाने की कोशिश की थी। इस कथित उकसावे में प्योंगयांग में ड्रोन भेजे जाने का दावा किया गया था।
बंद दरवाजे के बीच हुई इस सुनवाई में अदालत यून की हिरासत अवधि बढ़ाने या उन्हें रिहा करने पर विचार कर रही है। यून फिलहाल न्यायिक प्रक्रिया में बाधा डालने के आरोप में हिरासत में हैं। योनहाप न्यूज एजेंसी के मुताबिक, उन्हें जनवरी में गिरफ्तार किया गया था और 18 जनवरी को उनकी मौजूदा छह महीने की हिरासत अवधि पूरी होने वाली है।
सुनवाई के दौरान यून ने कहा कि उन्हें किसी भी ड्रोन ऑपरेशन या हमले की कोई जानकारी नहीं थी। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि ऐसी कोई भी सैन्य कार्रवाई उनकी जानकारी के बिना संभव नहीं है। यून ने यह भी दावा किया कि उन पर लगाया गया दुश्मन की मदद करने का आरोप पूरी तरह निराधार है।
अपने बचाव में यून ने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ हुई एक फोन बातचीत का हवाला दिया। उन्होंने बताया कि नवंबर में अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के बाद दोनों नेताओं के बीच करीब 10 मिनट तक फोन पर बात हुई थी। इस बातचीत में उत्तर कोरिया द्वारा दक्षिण कोरिया की ओर कचरा ले जाने वाले गुब्बारे भेजने का मुद्दा उठा था।
यून के अनुसार, उन्होंने ट्रंप से कहा था कि उनकी सरकार उत्तर कोरिया के उकसावे के मामलों में “रणनीतिक धैर्य” की नीति अपना रही है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया था कि जब तक उत्तर कोरिया की किसी कार्रवाई से जान-माल का नुकसान नहीं होता, तब तक उनकी सरकार किसी आक्रामक कदम से बचेगी।
इस मामले में स्पेशल काउंसल चो यून-सुक की टीम ने यून की हिरासत अवधि बढ़ाने की मांग की है। अभियोजन पक्ष का दावा है कि कथित ड्रोन अभियान का उद्देश्य उत्तर कोरिया को उकसाना और मार्शल लॉ लागू करने के लिए माहौल बनाना था। टीम ने तर्क दिया कि यून के खिलाफ लगे आरोप गंभीर हैं और उन्हें हिरासत में रखना जरूरी है।
वहीं यून की कानूनी टीम ने कहा कि ड्रोन से जुड़े आरोपों पर अलग मुकदमे में सुनवाई होनी चाहिए और इसका मौजूदा हिरासत मामले से सीधा संबंध नहीं है। दूसरी ओर स्पेशल काउंसल ने अदालत को आगाह किया कि यून का राजनीतिक प्रभाव अब भी बना हुआ है और रिहाई की स्थिति में वे कथित सहयोगियों पर दबाव डाल सकते हैं जिससे मुकदमे पर असर पड़ सकता है।
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अदालत ने दोनों पक्षों से अगले मंगलवार तक लिखित में अतिरिक्त दलीलें पेश करने को कहा है। इसके बाद ही हिरासत बढ़ाने पर फैसला सुनाया जाएगा। अगर अदालत ने हिरासत बढ़ाने की अनुमति दी तो यून को छह महीने और जेल में रहना पड़ सकता है। इसके अलावा, न्यायिक प्रक्रिया में बाधा डालने के आरोप पर फैसला 16 जनवरी को सुनाया जाना है। मार्शल लॉ लागू कर विद्रोह का नेतृत्व करने के आरोपों पर यून के खिलाफ एक अलग मुकदमा भी जारी है।