शेख हसीना (फोटो- सोशल मीडिया)
ढाका: बांग्लादेश से शेख हसीना को निकले हुए एक साल होने को है, लेकिन उनका डर अब भी देश की जनता के बीच बना हुआ है। बांग्लादेश में नई सरकार ने उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी है, और उनके खिलाफ मुकदमा चल रहा है। हालांकि, उनके 15 साल लंबे कार्यकाल में किए गए अत्याचारों के खिलाफ लोग खुलकर गवाही देने से कतरा रहे हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, गवाही देने वालों को जान से मारने की धमकियां भी दी जा रही हैं।
स्थानीय मीडिया की खबरों के मुताबिक, शेख हसीना ने फोन पर वादी, गवाहों, जांच अधिकारियों और मुकदमे से जुड़े अन्य लोगों को जान से मारने और उनके घरों को आग लगाने की धमकी दी। यह कार्रवाई अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण अधिनियम, 1973 की धारा 11(4) का उल्लंघन है, क्योंकि इससे न्यायिक प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न होती है। इस मामले में अदालत ने शेख हसीना को 6 महीने की सजा सुनाई है।
मुख्य अभियोजक मोहम्मद ताजुल ने एक सवाल के जवाब में बताया कि अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण की जांच एजेंसी ने सूचित किया है कि कई गवाह भय के कारण गवाही देने से हिचक रहे हैं। यहां तक कि कुछ लोग तो मामले दर्ज कराने के लिए भी सामने नहीं आ रहे हैं, जिससे न्यायाधिकरण की कार्यवाही बाधित हो रही है।
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शेख हसीना के खिलाफ बांग्लादेश के विभिन्न थानों और अदालतों में दर्ज 227 मामलों के शिकायतकर्ता अब अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण में गवाह के रूप में पेश किए गए हैं। इनमें से कई मामलों को न्यायाधिकरण में स्थानांतरित भी कर दिया गया है।
ताजुल ने बताया कि उन्हें भी डराने की कोशिश की गई, लेकिन उन्होंने कहा कि वे किसी भी दबाव से नहीं डरते और कानून के अनुसार कार्य करते रहेंगे। उन्होंने कहा कि इन मामलों में सबसे अहम भूमिका गवाहों की है, जो देश के दूर-दराज के इलाकों से हैं। साथ ही, उन्होंने यह भी चेताया कि अगर जांच अधिकारियों को डराया गया, तो इससे जांच प्रक्रिया पर असर पड़ेगा। इसी वजह से अदालत की अवमानना की शिकायत दर्ज कराई गई है।