सऊदी अरब-यूएई में तनाव (सोर्स- सोशल मीडिया)
Saudi Arabia-UAE Clash: मिडिल ईस्ट के देशों में सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) का हमेशा ही दबदबा रहा है। ये दोनों देशों की दोस्ती बहुत मजबूत थी, लेकिन अब हालात बदल चुके हैं। अब दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया है, और वो एक-दूसरे के विरोधी बनते दिख रहे हैं। खासकर यमन के मुद्दे पर इन दोनों देशों के बीच झड़पें हो रही हैं।
यमन में सऊदी अरब और यूएई दोनों ही अपनी सेनाएं भेज चुके हैं। सऊदी अरब ने 30 दिसंबर 2025 को यमन के दक्षिणी बंदरगाह मुकल्ला पर हवाई हमला किया। सऊदी का कहना था कि उसने यूएई से जुड़े हथियारों की खेप को निशाना बनाया था। यूएई ने सऊदी के इस दावे को खारिज किया और कहा कि जिस खेप पर हमला किया गया, वह हथियारों की नहीं, बल्कि रसद और सामान की थी। इस हमले के बाद यमन की सऊदी समर्थित सरकार ने यूएई की सेना को देश छोड़ने के लिए अल्टीमेटम दिया, जिसके बाद यूएई ने अपनी सेना को वापस बुला लिया।
सऊदी अरब और यूएई के रिश्ते हमेशा करीबी रहे हैं। दोनों देश सुन्नी मुस्लिम बहुल हैं और उनकी अर्थव्यवस्था तेल पर निर्भर है। इन दोनों देशों की दोस्ती खासकर ईरान के बढ़ते प्रभाव के कारण मजबूत रही। 2010 के दशक की शुरुआत में दोनों देशों के रिश्ते बहुत मजबूत थे। सऊदी के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान और यूएई के शासक मोहम्मद बिन जायद ने मिलकर इस्लामी कट्टरवाद और ईरान के खिलाफ कई संयुक्त कदम उठाए थे।
अब दोनों देश तेल की इकॉनमी से बाहर निकलकर दूसरे क्षेत्रों में विकास की कोशिश कर रहे हैं। यूएई ने दुबई को ग्लोबल हब बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं, जबकि सऊदी अरब का “विजन 2030” भी तेजी से आगे बढ़ रहा है। सऊदी अब अपने नए प्रोजेक्ट्स जैसे नियोम सिटी और रियाद एयर हब पर ध्यान दे रहा है, जो उसे ग्लोबल हब बनाने में मदद करेंगे।
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सऊदी अरब और यूएई अब एक-दूसरे को व्यापार, राजनीति और वैश्विक शक्ति के मामले में चुनौती दे रहे हैं। दोनों देशों के बीच अब केवल यमन ही नहीं, बल्कि सूडान, लीबिया, और इजिप्ट जैसे अन्य देशों में भी अलग-अलग गुटों का समर्थन हो रहा है। दोनों देशों के बीच यह संघर्ष भविष्य में और भी बढ़ सकता है।