
रूस ने ताइवान के मुद्दे पर कर रहा चीन का सपोर्ट (सोर्स-सोशल मीडिया)
China Military Expansion Taiwan 2027: रूस ने एक बार फिर ताइवान के मुद्दे पर वैश्विक मंच पर चीन का पुरजोर समर्थन करते हुए उसे बीजिंग का अटूट हिस्सा करार दिया है। रूसी विदेश मंत्रालय ने अपने ताजा बयान में स्पष्ट किया कि वह ‘ताइवान की स्वतंत्रता’ के किसी भी प्रयास का कड़ा विरोध करता है। रूस का मानना है कि कुछ पश्चिमी देश ‘एक-चीन सिद्धांत’ की आड़ में यथास्थिति बनाए रखने का नाटक कर रहे हैं, जो असल में चीन की क्षेत्रीय अखंडता के खिलाफ एक गहरी साजिश है। यह बयान ऐसे समय में आया है जब ताइवान जलडमरूमध्य में सैन्य और रणनीतिक हलचल अपने चरम पर है।
रूसी विदेश मंत्रालय ने सिन्हुआ समाचार एजेंसी के माध्यम से स्पष्ट किया कि ताइवान मुद्दे पर मॉस्को का रुख कभी नहीं बदलेगा। रूस का कहना है कि ताइवान पूरी तरह से चीन का आंतरिक मामला है और बीजिंग को अपनी संप्रभुता की रक्षा करने का पूरा हक है। रूस ने इसे उच्चतम स्तर पर बार-बार दोहराया है कि ताइवान जलडमरूमध्य में बाहरी हस्तक्षेप स्वीकार्य नहीं है।
बयान में रूस ने पश्चिमी देशों पर आरोप लगाया कि वे ताइवान का इस्तेमाल चीन को सैन्य और रणनीतिक रूप से घेरने के लिए कर रहे हैं। मंत्रालय के अनुसार, कुछ देश कूटनीतिक दांव-पेंच के जरिए चीन के राष्ट्रीय एकीकरण के प्रयासों में बाधा डाल रहे हैं। रूस ने इसे वैश्विक शांति और स्थिरता के लिए एक खतरनाक खेल बताया है जो अंतरराष्ट्रीय कानूनों के खिलाफ है।
अमेरिकी रक्षा विभाग की एक रिपोर्ट के अनुसार, चीन अपनी सैन्य ताकत को तेजी से बढ़ा रहा है ताकि 2027 तक ताइवान पर कब्जा करने के लिए तैयार हो सके। पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) लगातार अपनी रणनीति को उन्नत कर रही है ताकि किसी भी संभावित युद्ध में निर्णायक जीत हासिल की जा सके। यह रिपोर्ट ताइवान को लेकर भविष्य में होने वाले संभावित संघर्ष की ओर इशारा करती है।
अमेरिकी रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि चीनी सेना अपनी योजनाओं को सीधे तौर पर अमेरिका की सैन्य गतिविधियों के अनुरूप ढाल रही है। बीजिंग वाशिंगटन को एक ‘मजबूत दुश्मन’ के तौर पर देखता है और उसे हराने की क्षमता विकसित करना पीएलए की प्राथमिकता है। चीनी रक्षा तंत्र का पूरा ध्यान अब आधुनिक युद्ध तकनीकों और अमेरिका को चुनौती देने पर केंद्रित है।
यह भी पढ़ें: ‘किसी भी तीसरे पक्ष की…’, भारत ने खोली चीन की पोल, मध्यस्थता के दावों की बताई सच्चाई
बीजिंग अब केवल स्वतंत्रता को रोकने तक सीमित नहीं है, बल्कि वह ताइपे को अपनी शर्तों पर एकीकरण के लिए मजबूर करने की रणनीति अपना रहा है। इसके लिए कूटनीतिक अलगाव, आर्थिक प्रतिबंध और सूचना युद्ध जैसे उपकरणों का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जा रहा है। चीन का मुख्य उद्देश्य ताइवान के आंतरिक प्रतिरोध को कमजोर करना और उसे शांतिपूर्ण या सैन्य तरीके से खुद में मिलाना है।






