आतंकवाद पर जयशंकर की पश्चिमी देशों को चेतावनी, फोटो (सो.सोशल मीडिया)
ब्रसेल्स: भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने ब्रसेल्स की अपनी यात्रा के दौरान यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन और यूरोपीय संघ के विदेश नीति प्रमुख जोसेप बोरेल के साथ महत्वपूर्ण वार्ता की। इस मुलाकात में उन्होंने भारत के रणनीतिक महत्व और वैश्विक भूमिका को रेखांकित किया, साथ ही यूरोपीय संघ की कुछ प्रमुख नीतियों पर अपनी चिंताएं भी साझा कीं। इसके अलावा, जयशंकर ने पहलगाम आतंकी हमले की निंदा करने और आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता दिखाने के लिए यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष की सराहना की।
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने आतंकवाद के मुद्दे पर चर्चा करते हुए ओसामा बिन लादेन का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा, “मैं आपको याद दिलाना चाहता हूं कि ओसामा बिन लादेन नाम का एक आतंकवादी पाकिस्तान के एक शहर में सालों तक बिना रोक-टोक के कैसे सुरक्षित रह सका?” उन्होंने यह बात इसलिए कही ताकि दुनिया यह समझे कि यह सिर्फ भारत और पाकिस्तान के बीच का विवाद नहीं है, बल्कि यह आतंकवाद का वैश्विक मसला है, जो अंततः सभी को प्रभावित करेगा।”
यूरोपीय संघ और भारत के बीच चल रही मुक्त व्यापार समझौते की वार्ता के संदर्भ में, विदेश मंत्री जयशंकर ने भारत को एक विश्वसनीय आर्थिक सहयोगी के रूप में रेखांकित किया। उन्होंने जोर देकर कहा, “भारत, जिसकी आबादी 1.4 अरब है, न केवल कुशल श्रमशक्ति प्रदान करता है, बल्कि चीन के मुकाबले अधिक भरोसेमंद आर्थिक साझेदारी का विकल्प भी है।”
रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर भारत की स्थिति स्पष्ट करते हुए विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि भारत का मानना है कि मतभेदों का समाधान युद्ध के जरिए नहीं किया जा सकता। उनका कहना था कि युद्ध से किसी भी समस्या का स्थायी हल नहीं निकल सकता। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भारत इस संघर्ष में किसी पक्ष का समर्थन नहीं कर रहा है और न ही हम किसी पर निर्णय थोपने की स्थिति में हैं।
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रूस पर प्रतिबंध लगाने से भारत के इनकार को लेकर आई आलोचनाओं का जवाब देते हुए जयशंकर ने कहा कि भारत के यूक्रेन के साथ भी मजबूत और घनिष्ठ संबंध हैं, इसलिए यह मुद्दा केवल रूस तक सीमित नहीं है। उन्होंने जोर देकर कहा कि हर देश अपने ऐतिहासिक अनुभवों, राष्ट्रीय हितों और विदेश नीति के आधार पर ही निर्णय लेता है, और भारत भी इसी सिद्धांत का पालन कर रहा है।
जब जयशंकर से पूछा गया कि क्या उन्हें अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर भरोसा है, तो उन्होंने हैरानी जताते हुए कहा, “इसका क्या मतलब है?” जब उनसे यह सवाल किया गया कि क्या ट्रंप ऐसे साझेदार हैं जिनके साथ भारत मजबूत संबंध बनाना चाहेगा, तो उन्होंने स्पष्ट किया, “मैं दुनिया को जैसा पाता हूं, वैसे ही स्वीकार करता हूं। हमारा लक्ष्य हर उस रिश्ते को मजबूत करना है जो भारत के हितों के अनुकूल हो, और अमेरिका के साथ हमारे रिश्ते बेहद अहम हैं। यह किसी एक शख्सियत या राष्ट्रपति की बात नहीं है, बल्कि हमारे राष्ट्रीय हितों की बात है।”
(एजेंसी इनपुट के साथ)