
आदिवासी भवन के सामने 150 दिनों का डेरा आंदोलन स्थगित
Nashik Protest: लंबित मांगों की ओर ध्यान आकर्षित करने के लिए आदिवासी भवन के प्रवेश द्वार के सामने वाली सड़क पर पिछले 150 दिनों से डेरा आंदोलन किया जा रहा था। रविवार को यह आंदोलन स्थगित कर दिया गया। आंदोलन के कारण आदिवासी भवन के सामने की एक सड़क पूरी तरह बंद थी, जो अब वाहनों के लिए खुल गई है। यह आंदोलन आदिवासी आश्रमशालाओं के तृतीय व चतुर्थ श्रेणी के संविदा कर्मचारियों द्वारा किया जा रहा था।
राज्य के आदिवासी विकास मंत्री डॉ. अशोक उईके ने रविवार को आंदोलनकारियों से फोन कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से चर्चा की। बातचीत में उन्होंने समस्याओं को समझते हुए सरकार द्वारा सकारात्मक निर्णय लिए जाने का आश्वासन दिया। साथ ही इस मुद्दे पर नागपुर में चल रहे शीतकालीन अधिवेशन के दौरान 9 दिसंबर को विशेष बैठक आयोजित करने की बात कही। इसके बाद आंदोलन वापस ले लिया गया।

आंदोलन वापस लेने के बाद आंदोलनकर्ता ललित चौधरी ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सरकार के सकारात्मक आश्वासन के बाद आंदोलन स्थगित किया गया है। उन्होंने 150 दिनों तक चले आंदोलन के कारण नासिक के नागरिकों को हुई असुविधा के लिए क्षमा भी मांगी।
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आंदोलन वापस लेते समय नासिक के पुलिस आयुक्त संदीप कर्णिक भी उपस्थित थे। आंदोलन शुरू होने के लगभग 35 दिनों बाद आंदोलनकारियों का संयम टूट गया था। उस समय उन्होंने नारेबाजी करते हुए जॉइनिंग आदेशों की होली जलाई थी। इसके बाद पुलिस बंदोबस्त को नजरअंदाज कर वे आदिवासी भवन परिसर में भी घुस गए थे, जिसके चलते आंदोलन काफी चर्चा में रहा। अंततः सरकार द्वारा सकारात्मक पहल किए जाने पर आंदोलनकारियों ने आंदोलन समाप्त कर दिया।






