Zapad-2025 सैन्य अभ्यास, (डिजाइन फोटो)
International Military Exercises: भारत ने रूस और बेलारूस द्वारा आयोजित Zapad-2025 सैन्य अभ्यास में हिस्सा लिया। भारतीय रक्षा मंत्रालय के अनुसार, इस अभ्यास में 65 भारतीय सैनिकों ने भाग लिया। यह पांच दिवसीय कार्यक्रम 12 से 16 सितंबर तक चला और भारत-रूस के लंबे समय से चले आ रहे सैन्य सहयोग का हिस्सा है। इस घटनाक्रम ने अमेरिका के बीच चिंता और सतर्कता को भी बढ़ा दिया है।
यह सैन्य अभ्यास काफी भव्य था, जिसमें लगभग 1 लाख सैनिकों ने भाग लिया। इस दौरान न्यूक्लियर क्षमता वाले बॉम्बर्स, युद्धपोत और भारी तोपखाने की तैनाती की गई। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने सैन्य वर्दी में निज़नी नोवगोरोड के मुलिनो ट्रेनिंग ग्राउंड का दौरा कर अभ्यास की तैयारियों और उसकी सक्रिय स्थिति का निरीक्षण किया।
पुतिन ने बताया कि इस अभ्यास का उद्देश्य देश की सुरक्षा को मजबूत करना और संभावित खतरों से निपटने की क्षमता दिखाना है। क्रेमलिन के अनुसार, यह अभ्यास रूस और बेलारूस की 41 अलग-अलग ट्रेनिंग साइट्स पर संपन्न हुआ। इसमें 333 विमानों और 247 नौसैनिक जहाजों सहित सबमरीन का भी इस्तेमाल किया गया।
भारत की उपस्थिति ने विशेष ध्यान आकर्षित किया है, क्योंकि वर्तमान में भारत-अमेरिका संबंध व्यापार के मोर्चे पर तनावपूर्ण बने हुए हैं। रूसी समाचार एजेंसी TASS के अनुसार, भारत की भागीदारी का मुख्य उद्देश्य रूस के साथ “सहयोग और आपसी विश्वास” को मजबूत करना है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस कदम से अमेरिका में चिंता बढ़ सकती है। अमेरिका भारत को एशिया में चीन के संतुलन का अहम खिलाड़ी मानता है, इसलिए भारत का रूस के साथ जुड़ना अमेरिकी नीति निर्माताओं के लिए चुनौतीपूर्ण सवाल पैदा कर सकता है।
इस बार Zapad-2025 अभ्यास की खासियत यह रही कि इसमें भारत अकेला विदेशी प्रतिभागी नहीं था। ईरान, बांग्लादेश, बुर्किना फासो, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य और माली की टास्क फोर्सेज ने भी हिस्सा लिया. सबसे अहम बात यह रही कि अमेरिकी मिलिट्री अधिकारियों ने भी रूस और बेलारूस के इस संयुक्त अभ्यास का ऑब्ज़र्वेशन किया। यह 2022 में यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद पहली बार हुआ जब अमेरिका ने इस तरह का निमंत्रण स्वीकार किया।
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अमेरिकी अधिकारियों की मौजूदगी ऐसे समय में हुई जब पड़ोसी देश पोलैंड ने हाल ही में अपनी एयरस्पेस में दाखिल हुए रूसी ड्रोन को मार गिराया था. यह संकेत माना जा रहा है कि अमेरिका अब बेलारूस के साथ रिश्तों को सुधारने की कोशिश कर रहा है।