ट्रंप ने दी पुतिन को खुली धमकी, (डिजाइन फोटो)
रूस के लगातार हमलों के चलते ट्रंप, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से और भी नाराज हो गए हैं। खनिज डील के बाद से ट्रंप, यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की के प्रति नरम रुख अपना रहे हैं, और अब नाटो समिट में भी जेलेंस्की को शामिल किया जा रहा है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या यूक्रेन डोनाल्ड ट्रंप के लिए अफगानिस्तान जैसी स्थिति बनने जा रहा है? अगर ऐसा होता है तो क्या ट्रंप यूक्रेन को हथियारों की आपूर्ति करेंगे, ताकि रूस के खिलाफ यूक्रेन को मजबूत बनाया जा सके?
ट्रंप चाहते थे कि इस तरह के हमले बंद हो जाएं और पुतिन उनकी बात मान लें, लेकिन जब ऐसा नहीं हुआ, तो उन्होंने हालात को बदलने का इरादा छोड़ दिया और अपनी नीति में बदलाव कर लिया। रूस द्वारा यूक्रेन पर हमले करने से ट्रंप नाराज हैं। अमेरिकी एयर डिफेंस सिस्टम पर हमले भी उन्हें परेशान कर रहे हैं।
साथ ही, उत्तर कोरिया और चीन का रूस को समर्थन भी ट्रंप को खल रहा है। ट्रंप यह बात अच्छी तरह समझ गए हैं कि अगर यूक्रेन में अमेरिका के हथियार तबाह होते रहे, तो इससे एक सुपरपावर के तौर पर अमेरिका को दुनियाभर में गंभीर नुकसान पहुंच सकता है।
ट्रंप को अब इस बात का एहसास हो गया है कि रूस यूक्रेन के साथ युद्ध को रोकने के बजाय उसे पूरी तरह कब्जा करने की रणनीति पर काम कर रहा है। यही वजह है कि ट्रंप अब यूक्रेन को लेकर अपनी नीतियों में बदलाव करने की सोच रहे हैं। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि यह बदलाव कितना बड़ा और किस हद तक होगा।
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ट्रंप की बदली हुई रणनीतियों की वजह से अब जेलेंस्की को नाटो समिट में बुलाया गया है। जबकि पहले ट्रंप ने इस पर आपत्ति जताई थी, लेकिन अब जेलेंस्की को न्योता भेजा जा चुका है। रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि ट्रंप की नीतियां उनके लिए वैसी ही चुनौतियां खड़ी कर सकती हैं जैसी बाइडेन के लिए अफगानिस्तान युद्ध में हुई थीं। हालांकि, ट्रंप का रुख अब बदलता दिख रहा है। अमेरिका ने यूक्रेन को सैटेलाइट से खुफिया जानकारी देना फिर से शुरू कर दिया है। यह बदलाव रूस के भारी हमलों के चलते सामने आया है।
वहीं रूस के राष्ट्रपति पुतिन सीजफायर की बजाय युद्ध को और ज्यादा भड़काने में लगे हुए हैं। वे बफर जोन के बहाने यूक्रेन की जमीन पर कब्जा करने की कोशिश कर रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, यूक्रेन अब रूस के सभी एयरबेस पर हमले कर सकता है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अब समझ गए हैं कि पुतिन उनके कहने पर सीजफायर नहीं करने वाले। इसलिए पुतिन को दबाव में लाने की रणनीति बनाई जा रही है, ताकि वह युद्ध रोकने के लिए मजबूर हो जाएं।