
नेपाल के बाद अब पाकिस्तान में Gen-Z का फूटा गुस्सा, फोटो (सो. सोशल मीडिया)
PoK Gen-Z Protests: नेपाल के बाद अब पाकिस्तान की नई पीढ़ी Gen-Z भी अपनी सरकार से नाराज होकर सड़कों पर उतर आई है। पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में हाल ही में हिंसक प्रदर्शन हुए हैं, जिनकी अगुवाई छात्र वर्ग कर रहा है। शुरुआत में यह आंदोलन शिक्षा सुधारों और फीस वृद्धि के खिलाफ था, लेकिन अब यह पाकिस्तान सरकार के खिलाफ गुस्से के बड़े विस्फोट में बदल गया है।
यह आंदोलन मुजफ्फराबाद की एक प्रमुख यूनिवर्सिटी में तब शुरू हुआ जब छात्रों ने बढ़ती फीस और खराब मूल्यांकन प्रणाली के खिलाफ प्रदर्शन किया। शुरुआत में यह शांतिपूर्ण रहा, लेकिन हालात तब बिगड़े जब एक अज्ञात बंदूकधारी ने छात्रों पर गोली चला दी, जिसमें एक छात्र घायल हो गया। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में देखा गया कि प्रदर्शनकारियों पर फायरिंग की जा रही है, हालांकि वीडियो की पुष्टि अभी नहीं हो सकी है।
इसके बाद छात्रों का गुस्सा फूट पड़ा फिर रोड पर टायर जलाए गए, आगजनी और तोड़फोड़ हुई, और पाकिस्तान सरकार के खिलाफ नारेबाजी शुरू हो गई। प्रशासन ने यूनिवर्सिटी में सभी राजनीतिक गतिविधियों पर रोक लगा दी, जिससे माहौल और भड़क गया।
छात्रों की नाराजगी का मुख्य कारण नई ई-मार्किंग (डिजिटल मूल्यांकन प्रणाली) है। 30 अक्टूबर को जारी इंटरमीडिएट फर्स्ट ईयर के रिजल्ट्स में कई छात्रों को बेहद कम अंक मिले, जिससे असंतोष फैल गया। कुछ छात्रों ने तो यह भी दावा किया कि उन्हें उन विषयों में पास दिखाया गया जिनकी परीक्षा उन्होंने दी ही नहीं थी।
अब छात्रों ने रीचेकिंग फीस माफ करने की मांग की है, जो अभी 1,500 रुपये प्रति विषय रखी गई है। सात विषयों की कॉपियां दोबारा जांचवाने पर एक छात्र को लगभग 10,500 रुपये देने पड़ते हैं जो छात्रों के लिए बहुत भारी रकम है।
इस छात्र आंदोलन को ताकत जॉइंट अवामी एक्शन कमेटी (JAAC) ने दी। यह वही है जिसने अक्टूबर में हुए बड़े प्रदर्शनों की अगुवाई की थी। उस वक्त 12 से अधिक नागरिक मारे गए थे। JAAC ने 30 मांगों वाला चार्टर पेश किया था जिसमें टैक्स राहत, आटे-बिजली पर सब्सिडी और अधूरे विकास कार्यों को पूरा करने की मांग शामिल थी।
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सरकार ने आंदोलन को दबाने के लिए गोलीबारी का सहारा लिया, जिससे लोगों का गुस्सा और भड़क उठा। पूरा PoK ठप हो गया और आखिरकार सरकार को कई मांगें माननी पड़ीं।
PoK का यह आंदोलन खास इसलिए है क्योंकि इसे पारंपरिक राजनीतिक दलों ने नहीं, बल्कि Gen-Z ने संभाला है। यह वही पीढ़ी है जिसने नेपाल, बांग्लादेश और श्रीलंका में भी सरकारों को झुकने पर मजबूर किया। नेपाल में सोशल मीडिया बैन के खिलाफ शुरू हुआ आंदोलन भ्रष्टाचार विरोधी क्रांति में बदल गया था, जबकि बांग्लादेश में छात्रों के नेतृत्व वाले आंदोलन ने शेख हसीना सरकार को गिरा दिया। श्रीलंका में भी आर्थिक संकट के दौरान युवा सड़कों पर उतरे और सरकार को पद छोड़ना पड़ा।






