पाकिस्तान में चीनी सैन्य अड्डे की तैयारी, फोटो (सो. एआई डिजाइन)
China Pakistan Military Cooperation: अमेरिकी रक्षा मुख्यालय पेंटागन ने चीन और पाकिस्तान के बीच रक्षा, अंतरिक्ष और सैन्य सहयोग से जुड़े कई अहम तथ्यों का खुलासा किया है। अमेरिकी रक्षा विभाग ने संसद में अपनी वार्षिक रिपोर्ट ‘पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना से संबंधित सैन्य और सुरक्षा घटनाक्रम रिपोर्ट 2025’ पेश करते हुए कहा है कि चीन न सिर्फ पाकिस्तान की सेनाओं को व्यापक सैन्य सहायता दे रहा है, बल्कि वहां संभावित रूप से एक सैन्य अड्डा स्थापित करने पर भी विचार कर चुका है।
रिपोर्ट के अनुसार, पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) विदेशों में अतिरिक्त सैन्य सुविधाएं स्थापित करने को लेकर सक्रिय रूप से योजना बना रही है। पाकिस्तान उन प्रमुख देशों में शामिल है जहां चीन ने सैन्य अड्डा बनाने की संभावनाओं का आकलन किया है। पेंटागन का कहना है कि चीन की यह रणनीति उसके वैश्विक सैन्य प्रभाव को बढ़ाने और अहम समुद्री मार्गों पर नियंत्रण मजबूत करने की दिशा में उठाया गया कदम है।
पेंटागन रिपोर्ट में बताया गया है कि पाकिस्तान के अलावा चीन ने अंगोला, बांग्लादेश, म्यांमार, क्यूबा, इक्वेटोरियल गिनी, इंडोनेशिया, केन्या, मोजाम्बिक, नामीबिया, नाइजीरिया, पापुआ न्यू गिनी, सेशेल्स, सोलोमन आइलैंड्स, श्रीलंका, ताजिकिस्तान, थाईलैंड, तंजानिया, संयुक्त अरब अमीरात और वनुआतु जैसे देशों में भी संभावित सैन्य अड्डे स्थापित करने पर विचार किया है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पीएलए की विशेष रुचि मलक्का जलडमरूमध्य, हॉर्मूज जलडमरूमध्य और अफ्रीका व मध्य एशिया के समुद्री संचार मार्गों तक सैन्य पहुंच बनाने में है। ये मार्ग वैश्विक व्यापार और ऊर्जा आपूर्ति के लिए बेहद अहम माने जाते हैं।
पेंटागन के मुताबिक चीन ने पाकिस्तान को अत्याधुनिक लड़ाकू विमानों की पेशकश की है। इनमें पांचवीं पीढ़ी का FC-31, चौथी पीढ़ी का J-10C मल्टीरोल फाइटर जेट और चीन-पाकिस्तान का संयुक्त JF-17 हल्का लड़ाकू विमान शामिल हैं। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि मई 2025 तक चीन पाकिस्तान को 20 J-10C लड़ाकू विमान सप्लाई कर चुका है।
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इसके अलावा चीन ने काइहोंग और विंग लूंग जैसे उन्नत ड्रोन भी पाकिस्तान समेत अल्जीरिया, मिस्र, इथियोपिया, इंडोनेशिया, इराक, मोरक्को, म्यांमार, सर्बिया और यूएई को उपलब्ध कराए हैं।
रिपोर्ट में चीन-पाकिस्तान अंतरिक्ष सहयोग का भी जिक्र है। पेंटागन के अनुसार, चीन ने 2024 में वैश्विक स्तर पर अपनी अंतरिक्ष साझेदारियों को बढ़ाया है, ताकि खुद को एक सहयोगी अंतरिक्ष शक्ति के रूप में स्थापित किया जा सके और अमेरिकी नेतृत्व को चुनौती दी जा सके। पाकिस्तान समेत कई देशों ने चीन के इंटरनेशनल लूनर रिसर्च स्टेशन (ILRS) परियोजना में सहयोग के समझौते किए हैं।