तालिबान को मान्यता देने से बच रहा पाकिस्तान (फोटो- सोशल मीडिया)
इस्लामाबाद: चार साल पहले अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जा होने पर पाकिस्तान ने खुशी में पटाखे जलाए थे। पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान ने तालिबानियों को अपना भाई बताते हुए गुलामी की जंजीरों को तोड़ने की बात कही थी। इसके बावजूद पाकिस्तान में तालिबान सरकार को आज तक आधिकारिक तौर पर मान्यता नहीं दी गई है, और नहीं उनका ऐसा कोई इरादा है।
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने अफगानिस्तान की तालिबान सरकार को मान्यता देने को लेकर एक बयान जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि तालिबान को मान्यता देने में सरकार कोई जल्दबाजी नहीं करना चाहती। कोई भी फैसला देश के हितों को ध्यान में रखकर लिया जाएगा। यह बयान ऐसे समय में आया है जब रूस ने तालिबान को मान्यता दे दिया है। यहां तक कि चीन भी तालिबान सरकार के साथ मिलकर काम कर रहा है। ऐसे में सवाल आता है कि पाकिस्तान क्यों तालिबान की मान्यता देने से आना-कानी कर रहा है? इसके पीछे की असल वजह क्या है?
पाकिस्तानी मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान सरकार तालिबान को आधिकारिक तौर पर मान्यता देने से बच रही है, क्योंकि दोनों देशों के रिश्तों में तनाव बढ़ गया है। पाकिस्तान ने तालिबान पर आरोप लगाया है कि उसने पाकिस्तान के आतंकी संगठन TTP को अपनी जमीन पर पनाह दी है, हालांकि तालिबान ने इन आरोपों को खारिज किया है।
इसके अलावा, पाकिस्तान सरकार अफगानिस्तान से आए शरणार्थियों को वापस भेजने की प्रक्रिया में जुटी हुई है, जिसे कई मानवाधिकार संगठन अमानवीय मान रहे हैं। इन घटनाओं के बाद से तालिबान और पाकिस्तान के बीच रिश्ते और भी खराब हो गए हैं। इसके साथ ही, दोनों देशों के बीच डूरंड लाइन को लेकर विवाद 1947 से चल रहा है, जिसके कारण सीमा पर अक्सर झड़पों की खबरें आती रहती हैं।
बिलावल भुट्टो का विलाप, कहा- भारत सहयोग करे तो आतंकी हाफिज-मसूद को सौंप देंगे
विशेषज्ञों के अनुसार, इन सभी कारणों के अतिरिक्त पाकिस्तान तालिबान को मान्यता देने से बच रहा है ताकि अमेरिका के साथ अपने संबंधों को मजबूत बनाए रख सके। खासकर भारत के साथ हाल के तनाव और ऑपरेशन सिंदूर में मिली हार के बाद, पाकिस्तान चीन के बजाय हथियारों और रक्षा सहयोग के लिए अमेरिका के साथ अपने रिश्ते सुधारने की कोशिश कर रहा है। अमेरिका, तालिबान द्वारा महिला अधिकारियों के अधिकारों का उल्लंघन करने के कारण उन्हें मान्यता देने से इनकार कर रहा है।