पाकिस्तान पर टूटी नई मुसीबत, फोटो (सो. सोशल मीडिया)
Indus Delta disaster: पाकिस्तान इन दिनों एक भीषण प्राकृतिक आपदा का सामना कर रहा है। देश के दक्षिणी इलाके में स्थित सिंधु डेल्टा पूरी तरह से तबाह हो चुका है। इस क्षेत्र से बड़े पैमाने पर लोगों का पलायन जारी है। कभी खुशहाल रहे करीब 40 गांव अब सुनसान हो गए हैं, और इसके साथ ही सिंधु डेल्टा की एक समृद्ध सभ्यता का अंत हो गया है।
यह त्रासदी सिंध प्रांत के दक्षिणी सिरे पर स्थित उन गांवों की है, जो अरब सागर के किनारे बसे थे। यहां के लोग पारंपरिक रूप से खेती और मछली पकड़ने पर निर्भर थे। लेकिन बीते कुछ वर्षों में समुद्री पानी ने इस इलाके में घुसपैठ कर ली है, जिससे उनकी जमीनें, रोजगार और घर सबकुछ तबाह हो गया है।
अब तक इन गांवों से लगभग 12 लाख लोग अपना घर छोड़कर जा चुके हैं। इनमें से ज्यादातर लोगों ने कराची में शरण ली है। हाल ही में कराची जाकर बसे हबीबुल्लाह खट्टी खारो चान कस्बे के अपने पुश्तैनी गांव मीरबहार लौटे थे, ताकि वे अपनी मां की कब्र पर अंतिम श्रद्धांजलि दे सकें। यह गांव अब धीरे-धीरे समुद्र में डूब रहा है। जिस जगह कभी उनकी मां की कब्र थी, वहां अब समुद्री नमक की सफेद परतें फैली हुई हैं। कब्र तक पहुंचते-पहुंचते हबीबुल्लाह के पैरों पर नमक की मोटी तह जम चुकी थी। यह गांव सिंधु डेल्टा में उस स्थान से करीब 15 किलोमीटर दूर है, जहां सिंधु नदी अरब सागर में समाहित होती है।
1981 में इस कस्बे की जनसंख्या लगभग 26,000 थी, जो 2023 में घटकर केवल 11,000 रह गई। अब हबीबुल्लाह अपने परिवार के साथ कराची में बसने की तैयारी कर रहे हैं। उनकी ही तरह सिंधु डेल्टा से अब तक करीब 12 लाख लोग पलायन कर चुके हैं। थिंक टैंक ‘जिन्ना इंस्टीट्यूट’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, बीते बीस वर्षों में इस क्षेत्र से इतने बड़े पैमाने पर आबादी ने पलायन किया है।
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तिब्बत से निकलने वाली सिंधु नदी, कश्मीर से गुजरते हुए पाकिस्तान में प्रवेश करती है। हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया है, जिससे नदी में जल प्रवाह में कमी आई है। यह नदी और इसकी सहायक धाराएं देश की लगभग 80% कृषि भूमि की सिंचाई करती हैं और लाखों लोगों की जीविका इससे जुड़ी हुई है। समुद्र में मिलने से पहले, सिंधु नदी द्वारा अपने दोनों किनारों पर जमा की गई उपजाऊ मिट्टी से बना डेल्टा, कभी खेती, मछली पालन, मैंग्रोव वनस्पति और विविध वन्यजीवों के लिए अनुकूल क्षेत्र माना जाता था।