बाढ़ के चंदे से बन रहा आतंकी अड्डा, फोटो (सो. सोशल मीडिया)
Pakistan News Hindi: ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय वायु सेना ने पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के मुरीदके में स्थित लश्कर-ए-तैयबा (LeT) के मुख्यालय मरकज़ तैयबा को ध्वस्त कर दिया। इस कार्रवाई में आतंकी संगठन के कमांड सेंटर, कैडरों के ठिकाने, हथियार भंडार और आतंकियों को प्रशिक्षण देने वाले उम्म-उल-कुरा ब्लॉक को पूरी तरह तबाह कर दिया गया।
हालिया खुफिया इनपुट्स से खुलासा हुआ है कि पाकिस्तान सरकार आतंकवादी संगठन के मुख्य ठिकाने को दोबारा खड़ा करने के लिए वित्तीय मदद दे रही है। रिपोर्ट्स के अनुसार, इस्लामाबाद अब तक लश्कर को 4 करोड़ रुपये उपलब्ध करा चुका है। अनुमान है कि पूरे निर्माण कार्य पर करीब 15 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इसकी देखरेख लश्कर के वरिष्ठ कमांडर मौलाना अबू जार और यूनुस शाह बुखारी कर रहे हैं। लक्ष्य है कि यह काम 5 फरवरी 2026 तक पूरा कर लिया जाए।
लश्कर के आतंकी अब बाढ़ राहत के नाम पर चंदा इकट्ठा कर रहे हैं, लेकिन असल में यह पैसा आतंकवादी नेटवर्क खड़ा करने में लगाया जा रहा है। ठीक ऐसा ही 2005 के भूकंप के समय भी हुआ था, जब जमात-उद-दावा ने राहत कार्य का बहाना बनाकर धन जुटाया था। उस समय एकत्रित राशि का लगभग 80% हिस्सा आतंकी शिविरों के निर्माण में खर्च किया गया था।
मरकज़-ए-तैयबा लश्कर-ए-तैयबा का मुख्य प्रशिक्षण अड्डा माना जाता है। यहां आतंकियों को कट्टरपंथी विचारधारा, हथियारों के इस्तेमाल और खुफिया गतिविधियों की खास ट्रेनिंग दी जाती थी। हर साल तकरीबन 1000 आतंकवादी यहीं से तैयार किए जाते थे। यही वह स्थान है, जहां 26/11 मुंबई हमले का आतंकी अजमल कसाब भी प्रशिक्षित हुआ था। इस कैंप में 26/11 के साजिशकर्ता डेविड कोलमैन हेडली, तहव्वुर हुसैन राणा, अब्दुल रहमान सईद उर्फ पाशा, हारून और खुर्रम भी ज़की-उर-रहमान लखवी के निर्देश पर मुरीदके पहुंचे थे। बताया जाता है कि ओसामा बिन लादेन ने भी मरकज़-ए-तैयबा में मस्जिद और गेस्ट हाउस बनाने के लिए 1 करोड़ रुपये की राशि दी थी।
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कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि यदि यह जानकारी अगर सही साबित होती है, तो भारत को इस मुद्दे को FATF (वित्तीय कार्रवाई कार्य बल) के सामने उठाना चाहिए। उनका कहना है कि अगर IMF (अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष) से मिले धन का उपयोग आतंकवादी संगठन का मुख्यालय खड़ा करने में हो रहा है, तो यह बेहद गंभीर चिंता का विषय है।