इमरान खान और असीम मुनीर फोटो ( सो. सोशल मीडिया )
Pakistan Politics Crisis: पाकिस्तान में सत्ता की लड़ाई एक बार फिर सेना और राजनीतिक नेतृत्व की टकराहट में बदल गई है। आर्मी चीफ जनरल आसीम मुनीर इन दिनों तीखे आरोपों के घेरे में हैं आरोप यह कि वे केवल अपनी कुर्सी बचाने के लिए फैसले ले रहे हैं, जनता की समस्याओं से उनका कोई लेना-देना नहीं।
राजनीतिक विश्लेषक इसे पाकिस्तान को अस्थिर करने वाली मुनीर की रणनीति भी बता रहे हैं। हालिया घटनाएं इस धारणा को और मजबूत करती हैं।
सेना ने अपने आधिकारिक बयान में दावा किया कि पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान मानसिक रूप से बीमार हैं। इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (ISPR) के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट जनरल शरीफ अहमद चौधरी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि इमरान खान की सोच पाकिस्तान के लिए खतरा है और PTI सेना की छवि खराब कर रही है।
यह बयान ऐसे समय आया है जब इमरान खान जेल में हैं, और उनके समर्थक लगातार उनके लिए न्याय की मांग कर रहे हैं। परिवार और पार्टी नेताओं पर पुलिस कार्रवाई पहले ही सरकार और सेना पर सवाल खड़े कर चुकी है।
राजनीतिक हलकों में चर्चा यह भी है कि यह सब जनरल मुनीर के कथित PPP प्रोजेक्ट का हिस्सा है जिसे तंज के रूप में पागल पूर्व प्रधानमंत्री प्रोजेक्ट कहा जा रहा है। आलोचक कहते हैं कि पाकिस्तान में नेताओं के खिलाफ सैन्य एक्शन का इतिहास पुराना है, और यह उसी परंपरा की अगली कड़ी है।
इमरान खान को बिना आधार पागल बताने की कोशिश के बीच एक और खबर ने पाकिस्तान की राजनीति को झकझोर दिया है। दावा किया जा रहा है कि पाकिस्तान की सत्ता लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों के लिए नए लॉन्चपैड तैयार कर रही है।यानी एक तरफ जनता द्वारा चुने गए प्रधानमंत्री को मानसिक रूप से अस्थिर बताया जा रहा है और दूसरी ओर आतंकियों को रणनीतिक बढ़त दी जा रही है। यही दोहरा चरित्र पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कटघरे में खड़ा कर रहा है।
ISPR के डीजी लेफ्टिनेंट जनरल चौधरी ने कहा कि यदि भारत हमला करता और इमरान खान प्रधानमंत्री होते, तो वे शायद बातचीत की मांग करते। इस बयान को इमरान खान पर व्यक्तिगत हमला और सेना की सत्ता बनाए रखने का तरीका बताया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि इमरान खान अपने बेटों को सेना में भेजने की बजाय विदेश में रखते हैं, जबकि सेना देश की सुरक्षा के लिए बलिदान दे रही है।
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PTI कार्यकर्ता लगातार सड़कों पर हैं और यह आरोप लगा रहे हैं कि सेना जनमत को दबा रही है। पाकिस्तान में लोकतंत्र की स्थिति, सेना की भूमिका और आतंकी संगठनों से उसके संबंध को लेकर बहस तेज हो गई है। कुल मिलाकर, इमरान खान और आसीम मुनीर की लड़ाई पाकिस्तान के भविष्य की दिशा तय करने वाली साबित हो सकती है।