चीन और नेपाल के समकक्षों के बीच बैठक
काठमांडू: नेपाल की केपी शर्मा ओली सरकार तेजी से चीन के साथ काम करने में दिलचस्पी दिखा रही है। दोनों देशों के नेता एक दूसरे के साथ बैठकें कर रही हैं। ऐसे में नेपाल और चीन की मजबूत हो रही संबंध भारत की टेंशन बढ़ा सकती है। नेपाल के उप प्रधानमंत्री बिष्णु प्रसाद पौडेल और चीन के उप प्रधानमंत्री डिंग श्वेशियांग के बीच गुरुवार को बैठक की।
बैठक में परियोजनाओं के समयबद्ध कार्यान्वयन समेत द्विपक्षीय संबंधों के सभी पहलुओं पर चर्चा की गई। दोनों देशों के बीच हुई बैठक को लेकर नेपाल विदेश मंत्रालय की ओर से बयान जारी की गइ। इसमें कहा गया कि नेपाल के उपप्रधानमंत्री और वित्त मंत्री पौडेल और चीन के उपप्रधानमंत्री डिंग श्वेशियांग ने दोनों देशों के बीच हुए समझौतों के समयबद्ध क्रियान्वयन में तेजी लाने के लिए सामूहिक रूप से काम करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
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दोनों देशों के बीच उत्कृष्ट द्विपक्षीय संबंधों की डिंग ने सराहना की। उन्होंने कहा कि पारस्परिक लाभ के लिए नेपाल और चीन के बीच व्यावहारिक सहयोग के महत्व पर बल दिया। बयान में कहा गया कि चीनी उप प्रधानमंत्री ने समझौतों के समयबद्ध कार्यान्वयन के प्रस्ताव पर भी सकारात्मक प्रतिक्रिया व्यक्त की।
Nepal Deputy PM and finance minister Bishnu Paudel is in Beijing and he held a meeting with urgency with He Lifeng,Vice-priemier of PRC on economic development, cooperation and multiple connectivity. China is celebrating 75th year of founding of PRC. pic.twitter.com/rhW6eSN6Sq
— Upendra Gautam (@ug4432149) September 25, 2024
कई क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर हुई चर्चा
बयान में बताया गया कि दोनों नेताओं ने ‘ट्रांस-हिमालयन मल्टी-डायमेंशनल कनेक्टिविटी नेटवर्क’ के तहत परियोजनाओं को आगे बढ़ाने पर सहमति जताई। साथ ही बुनियादी ढांचे, सांस्कृतिक, पर्यटन, शिक्षा आदान-प्रदान और लोगों के बीच संबंधों समेत कई क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के तरीकों पर भी चर्चा की।
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इससे पहले, पौडेल ने नेपाल-चीन विकास सहयोग के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा के लिए चीन अंतरराष्ट्रीय विकास सहयोग एजेंसी के अध्यक्ष लुओ झाओहुई से मुलाकात की। पौडेल छह दिवसीय यात्रा पर चीन गए हैं और वह शनिवार को काठमांडू लौटेंगे।
भारत को टेंशन क्यों
दरअसल, नेपाल, भारत का पड़ोसी देश है। दोनों देश सीमा साझा करते हैं। वहीं नेपाल और भारत के बीच कुछ क्षेत्रों को भी लेकर विवाद है। जिसे भारत अपने देश का हिस्सा मानता है और नेपाल अपने देश का। दूसरी तरफ नेपाल की केपी शर्मा ओली सरकार चीन समर्थित मानी जाती है। ओली चीन के पक्षधर हैं। ऐसे में भारत को टेंशन इस बात की बढ़ जाती है कि कहीं नेपाल, चीन के साथ ऐसे मुद्दे पर समझौते न कर ले जिससे उसे आगे चलकर समस्या हो। वहीं चीन का विस्तारवादी नीति हमेशा ऐसे ही जुगाड़ में रहता है। ऐसे मौके के फिराक में रहता है कि वह किसी भी तरह दूसरे देशों में कब्जा कर सके।