रूसी-ब्रिटेन हथियारों की होड़ (सोर्स- सोशल मीडिया)
UK Atlantic Bastion Program: रूस ने हाल ही में समुद्र में सुनामी जैसा तबाही मचाने वाले हथियारों का परीक्षण किया है, जिसने दुनिया भर के उन देशों को डरा दिया है जो रूस के खिलाफ खड़े हैं। रूस के इस हथियास ने खासतौर पर पश्चिमी देशों के लिए एक बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है। यह पनडुब्बी आर्कटिक पोर्ट सेवेरोविंस्क से लॉन्च की गई थी और यह केवल रेडियोएक्टिव सुनामी पैदा करने वाले ड्रोन टॉरपीडो पोसाइडन नहीं ले जाती, बल्कि इसकी लो नॉइज डिजाइन इसे लगभग अदृश्य बना देती है।
खाबरोवस्क पनडुब्बी को समुद्र का भूत या शैतान कहा जा रहा है। इसका नया पंप-जेट इंजन, आवाज काटने वाली खास कोटिंग और शांत रिएक्टर सिस्टम इसे समुद्र की गहराई में धीमे और चुपके से चलने में सक्षम बनाते हैं, जिसे कोई भी सुन नहीं सकता। इस वजह से नाटो देशों में इस खतरनाक पनडुब्बी का असर गहरा हुआ है और वे इसके खिलाफ उपाय खोजने लगे हैं।
ब्रिटेन ने इस चुनौती का सामना करने के लिए ‘अटलांटिक बास्टियन’ नामक एक व्यापक समुद्री निगरानी नेटवर्क बनाने की योजना बनाई है। इस नेटवर्क में नए टाइप-26 फ्रिगेट जहाज, P-8 पोसाइडन समुद्री नजर रखने वाले विमान और पानी के अंदर खुद चलने वाले ड्रोन शामिल होंगे। इन उपकरणों की मदद से रूस की पनडुब्बियों की खोज की जाएगी। ब्रिटेन खुलकर मान रहा है कि यह नेटवर्क रूस की बढ़ती पनडुब्बी क्षमताओं का मुकाबला करेगा।
इस योजना का पहला चरण ‘अटलांटिक नेट’ है, जो आइसलैंड, ग्रीनलैंड और ब्रिटेन के आसपास का बड़ा सेंसर नेटवर्क होगा। ये इलाका रूस की पनडुब्बियों के लिए अटलांटिक महासागर की मुख्य एंट्री-पॉइंट है।ब्रिटेन की योजना में समुद्री ड्रोन का अहम रोल है, जो समुद्र के नीचे खुद जाकर रूसी पनडुब्बियों के शोर को पकड़ेंगे और उनकी लोकेशन व दिशा का पता लगाएंगे।
यह नेटवर्क उत्तरी अटलांटिक के GIUK गैप क्षेत्र की निगरानी करेगा, जो रूस की पनडुब्बियों का प्रमुख मार्ग है। यह आधुनिक प्रणाली कोल्ड वॉर के समय अमेरिकी SOSUS प्रणाली जैसी है, लेकिन यह अधिक उन्नत और AI संचालित है।
यह भी पढ़ें: बांग्लादेश में UN क्यों खोद रहा मुसलमानों की कब्रें? क्या है शेख हसीना से कनेक्शन
रूसी पनडुब्बियां पिछले कई दशकों में अत्यधिक चुप और मुश्किल से पकड़ी जाने वाली बन गई हैं। इन्हें पकड़ने के लिए अब सिर्फ साइलेंट सेंसर ही नहीं बल्कि एक्टिव सोनार, बाई-स्टैटिक रडार और ज्वाइंट सिस्टम की जरूरत है। इसलिए ब्रिटेन ने AI आधारित हाई टेक समुद्री निगरानी प्रणाली विकसित करने की योजना बना रखी है।