रेगिस्तान में बर्फ, विला और कार-मुक्त शहर, फोटो (सो. सोशल मीडिया)
रियाद: सऊदी अरब के रेगिस्तान में एक अद्भुत और अनोखी परियोजना पर काम हो रहा है। यहां पहाड़ी इलाके में ‘ट्रोजना’ नाम का एक स्की रिसॉर्ट विकसित किया जा रहा है, जो क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के विशाल प्रोजेक्ट ‘नियोम’ का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस परियोजना पर बीते कुछ वर्षों में सऊदी सरकार ने भारी निवेश किया है. इस परियोजना का मकसद सऊदी की अर्थव्यवस्था को दुनिया के लिए खोलना है. मोहम्मद बिन सलमान सऊदी इकोनॉमी की तेल से निर्भरता कम करना चाहते हैं.
सऊदी अरब के उत्तर-पश्चिमी हिस्से में जेबेल अल लॉज पर्वत पर 2,500 मीटर की ऊंचाई पर भविष्य के शहर नियोम में एक अद्वितीय स्की रिसॉर्ट “ट्रोजना” विकसित किया जा रहा है। यह दुनिया का पहला ऊर्ध्वाधर (वर्टिकल) स्की विलेज होगा, जिसमें 30 किलोमीटर लंबी कृत्रिम स्की ढलानें बनाई जाएंगी। इन ढलानों को ऊंची इमारतों, जैसे होटल, विला और शॉपिंग मॉल के ऊपर डिजाइन किया जाएगा, जो इसे एक अनोखा पर्यटन स्थल बनाएगा। नकली बर्फ के लिए 57 अरब लीटर पानी की कृत्रिम झील भी बनेगी। रेगिस्तान में बर्फ का ये गांव किसी सपने के शहर जैसा होगा. नियोम में 6 बड़े प्रोजेक्ट ट्रोजना स्की विलेज नियोम के तहत छह बड़ी परियोजनाओं में से है।
मोहम्मद बिन सलमान नियोम परियोजना को सफलता के साथ पूरा कर लेते हैं तो ये उनके लिए बहुत बड़ी कामयाबी होगी। मोहम्मद बिन सलमान के 14 ट्रिलियन डॉलर के इस प्रोजेक्ट पर 2017 से काम चल रहा है। हालांकि इस प्रोजेक्ट के लिए सऊदी सरकार के सामने फंड की कमी की बात सामने आई हैं। वहीं स्थानीय लोगों के मानवाधिकारों के उल्लंघन के आरोप भी सऊदी सरकार पर लग रहे हैं।
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नियोम प्रोजेक्ट के ट्रोजना स्की रिजॉर्ट के कार्यकारी निदेशक फिलिप गुलेट ने इस पर बात करते हुए कहा, ‘अब दिखने लगा है कि नियोम से सऊदी को क्या मिलने जा रहा है. इसमें ट्रोजना के अलावा समुद्र तट के विकास, कार-मुक्त शहर द लाइन, स्वचालित बंदरगाह और हवाई अड्नु शामिल हैं। उन्होंने कहा कि इस कृत्रिम शहर सेअकाबा की खाड़ी और मित्र को देखा जा सकेगा। ये इसे प्रोजेक्ट को और भी खास बना देगा।
फिलिप गुलेट ने कहा कि कहा कि नियोस परियोजना पर एक सैन्य अभियान की तरह काम किया जा रहा है क्योंकि दूरदराज के पहाड़ी इलाके में काम करना एक बड़ी चुनौती है। ट्रोजना की बर्फ मशीनों से बनाई जाएगी। इसके लिए हालिया वर्षों में बर्फ बनाने की तकनीक का परीक्षण किया गया है। ऐसा करते हुए ढलानों को ऐसे डिजाइन किया जा रहा है, जिससे पर्यावरण पर खराब असर ना हो।