
तालिबान के समर्थन में उतरे पाकिस्तानी मौलाना (सोर्स- सोशल मीडिया)
Maulana Fazlur Rehman Supports Taliban: पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच एक नया राजनीतिक और धार्मिक मोर्चा उभरता दिख रहा है, जो पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल आसिम मुनीर के लिए मुश्किलें बढ़ा सकता है। अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज तालिबान और पाकिस्तान के धार्मिक नेता (उलेमा) एक-दूसरे के करीब आते नजर आ रहे हैं। यह समूह पाकिस्तान की सेना द्वारा अफगानिस्तान पर किए गए हमलों की खुलकर आलोचना कर रहा है।
इस पूरे घटनाक्रम में जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम (फजल) यानी जेयूआई-एफ के प्रमुख मौलाना फजलुर रहमान की भूमिका अहम मानी जा रही है। फजलुर रहमान है जिन्होंने 2019 मेंआजादी मार्च निकालकर इमरान खान सरकार के लिए परेशानियां खड़ी की थी। उन्होंने हाल ही में कराची में दिए गए एक भाषण में उन्होंने प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और आर्मी चीफ आसिम मुनीर पर दोहरे रवैये का आरोप लगाया। मौलाना फजलुर रहमान ने सवाल उठाया कि अगर पाकिस्तान का अफगानिस्तान के अंदर जाकर हमला करना सही है, तो फिर भारत को पाकिस्तान में घुसकर आतंकियों को मारने से क्यों रोका जाए।
डॉन अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, तालिबान सरकार के आंतरिक मंत्री सिराजुद्दीन हक्कानी ने रविवार को जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम (फजल) और पाकिस्तान के उन सभी संगठनों, नेताओं और उलेमाओं का आभार जताया, जो अफगानिस्तान के प्रति सकारात्मक सोच रखते हैं। काबुल में एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने खास तौर पर मौलाना फजलुर रहमान के भाषण का जिक्र किया।
मौलाना फजलुर रहमान ने 23 दिसंबर को कहा था कि पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच तनाव किसी भी देश के हित में नहीं है। उन्होंने कहा कि इस तनाव से सिर्फ इस्लाम विरोधी ताकतों को फायदा होगा और दोनों देशों को बातचीत के जरिए अपने मसले सुलझाने चाहिए। सिराजुद्दीन हक्कानी ने उसी सम्मेलन का जिक्र करते हुए कहा कि मौलाना फजलुर रहमान और मुफ्ती तकी उस्मानी ने अफगानिस्तान के प्रति सद्भावना दिखाई है, जिसके लिए तालिबान उनका आभारी है।
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हक्कानी ने कहा कि पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार ने भी अफगानिस्तान को लेकर सकारात्मक बयान दिए हैं। हक्कानी के अनुसार, अगर दोनों देशों के बीच अच्छे संबंध और संवाद बढ़ता है, तो तालिबान इसका स्वागत करेगा। इसी बीच अफगान विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी ने भी ऐसे ही विचार रखे। उन्होंने कहा कि हाल ही में कराची में पाकिस्तान भर के धार्मिक विद्वान और संगठनों ने अपनी सरकार को सही सलाह दी।






