
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ (सोर्स- सोशल मीडिया)
Khawaja Asif on Pakistan-Afghanistan Tension: अफगानिस्तान से तनाव के बीच पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने पहली बार खुलकर स्वीकार किया है कि 2021 में काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद इस्लामाबाद द्वारा अफगान तालिबान से रिश्ते सुधारने के लिए किए गए सभी प्रयास पूरी तरह असफल रहे। आसिफ का बयान ऐसे समय में आई है जब मंगलवार को पाकिस्तानी एयर स्ट्राइक में 9 बच्चों समेत 10 लोगों के मारे जाने के बाद तालिबान बदला देने की बात कर रहा है।
एक पाकिस्तानी समाचार चैनल को दिए इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि तालिबान सरकार के साथ सकारात्मक संबंध बनाने के लिए उन्होंने स्वयं कई बार काबुल का दौरा किया और शुरुआती दिनों में तालिबान नेतृत्व का स्वागत भी किया था। लेकिन इन कोशिशों का कोई लाभ नहीं मिला और उम्मीद के अनुरूप संबंध स्थापित नहीं हो सके।
ख्वाजा आसिफ के मुताबिक, पाकिस्तान को विश्वास था कि तालिबान शासन इस्लामाबाद पर निर्भर रहेगा और उसकी रणनीतिक आवश्यकताओं को समझते हुए सहयोग करेगा। मगर वास्तविकता इसके बिल्कुल उलट निकली। तालिबान न केवल पाकिस्तान की अपेक्षाओं पर खरे नहीं उतरे, बल्कि कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर खुलकर विरोध भी कर रहे हैं। आसिफ का इशारा टीटीपी और भारत से रिश्तों की ओर था।
रक्षा मंत्री ने तालिबान को एक अराजक समूह बताते हुए कहा कि उन पर भरोसा करना गलती होगी। उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान ने वर्षों तक तालिबान की दो पीढ़ियों को शरण दी, लेकिन उसके बदले में अपेक्षित सहयोग नहीं मिला।
यह बयान इसलिए भी उल्लेखनीय है क्योंकि पाकिस्तान लंबे समय तक अफगान तालिबान को समर्थन, पनाह और प्रशिक्षण देता रहा है। 2021 में अमेरिकी सेना की वापसी के बाद पाकिस्तान को उम्मीद थी कि काबुल में उसकी पसंद की सरकार बनेगी, जो उसके हितों की रक्षा करेगी। लेकिन सत्ता संभालने के बाद तालिबान ने पाकिस्तान की अधिकांश उम्मीदों को निराश किया।
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दोनों देशों के बीच तनाव का सबसे बड़ा कारण तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) है। पाकिस्तान चाहता है कि अफगान तालिबान टीटीपी के खिलाफ कठोर कार्रवाई करे, लेकिन तालिबान इसका स्पष्ट विरोध करता है। इसके अलावा डूरंड लाइन, सीमा सुरक्षा और व्यापारिक नीतियों को लेकर भी दोनों देशों के रिश्तों में खटास लगातार बढ़ रही है।






