इजरायली वार से कांपा ईरान, फोटो (सो. सोशल मीडिया)
तेल अवीव: ईरान और इजरायल के बीच हाल ही में हुए संघर्ष पर विराम तो लग गया है, लेकिन दोनों देशों के बयानों से साफ जाहिर हो रहा है कि अंदर ही अंदर प्रतिशोध की भावना अब भी जल रही है। ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने हाल ही में कहा कि अमेरिका ने ईरान पर हमला करके कुछ भी हासिल नहीं किया, बल्कि खुद की ही बदनामी करवाई। इसके जवाब में इजरायल ने दावा किया कि यदि 12 दिनों तक चले इस युद्ध के दौरान खामेनेई का पता चल जाता, तो वे उन्हें समाप्त कर देते।
इजरायली सेना ने अपने ‘ऑपरेशन राइजिंग लॉयन’ के तहत ईरान के खिलाफ बड़े पैमाने पर हमले किए हैं। उनका दावा है कि इस ऑपरेशन में ईरान के 900 से अधिक सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया गया। इजरायल डिफेंस फोर्सेज (IDF) के अनुसार, इन हमलों में 11 परमाणु वैज्ञानिकों, तीन शीर्ष सैन्य कमांडरों और 30 अन्य वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारियों की मौत हुई है।
इससे पहले, ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड्स कॉर्प्स और वायु सेना प्रमुख सहित कई उच्चस्तरीय सैन्य अधिकारियों के मारे जाने की खबरें आई थीं।
IDF के अनुसार, 12 दिनों तक चले इस सैन्य अभियान में इजरायल ने ईरान के 900 से अधिक सैन्य लक्ष्यों पर हमले किए और उनके 200 मिसाइल लॉन्चर ध्वस्त कर दिए। IDF ने यह भी दावा किया कि यह संख्या ईरान के कुल मिसाइल लॉन्चरों का लगभग 50% है। साथ ही, इजरायली हमलों में ईरान के कई विमान तथा मिसाइल निर्माण केंद्र भी नष्ट हो गए, जिसके कारण ईरान में हजारों नई मिसाइलें बनाने की प्रक्रिया ठप पड़ गई।
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इजरायल के रक्षा मंत्री ने गुरुवार को चैनल 13 को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि ऑपरेशन राइजिंग लॉयन के दौरान ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई को मारने का मौका नहीं मिला, लेकिन अगर ऐसा अवसर आता तो इजरायल उन्हें “खत्म कर देता”। यह ऑपरेशन 12 दिनों तक चला, जिसके अंत में अमेरिका ने 22 जून को ईरान के तीन परमाणु स्थलों पर भारी बमबारी की थी। अमेरिका ने 30,000 पाउंड के बंकर बस्टर बमों का इस्तेमाल किया था। इसके जवाब में ईरान ने कतर और इराक स्थित अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर मिसाइल हमले किए थे।