बेन्जामिन नेतन्याहू, फोटो (सो. सोशल मीडिया)
Netanyahu UN Speech: इजरायल ने पिछले दो वर्षों में गाजा युद्ध के दौरान सिर्फ फिलिस्तीन ही नहीं बल्कि 6 अन्य देशों पर भी हमले किए। गाजा को खंडहर में बदलने के साथ ही लेबनान और सीरिया में उसकी भारी बमबारी से दर्जनों इमारतें जमींदोज हो गईं। अब इजरायल की नजर एक और मुस्लिम देश पर टिक गई है, जिसके संकेत प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने 26 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र में दिए अपने भाषण से स्पष्ट कर दिए।
26 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र महासभा में दिए भाषण में नेतन्याहू ने इराक का नाम स्पष्ट रूप से उन देशों की सूची में जोड़ा, जहां सक्रिय रेसिस्टेंस ग्रुप्स को अब इजरायल की कड़ी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा। इसका मतलब है कि इजरायली सेना इराक पर भी हमले की तैयारी कर रही है।
पश्चिम एशिया पहले से ही अस्थिरता का सामना कर रहा है और अब इराक एक बार फिर क्षेत्रीय तनाव का केंद्र बन गया है। संयुक्त राष्ट्र में भाषण देते हुए इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इराक के प्रतिरोध संगठनों को सीधी धमकियां दीं, जिससे इजरायल के इरादों और संदेशों पर नए सिरे से सवाल उठने लगे हैं। नेतन्याहू की टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया देते हुए इराकी विदेश मंत्री फुआद हुसैन ने इन धमकियों को अस्वीकार्य करार दिया और स्पष्ट चेतावनी दी कि किसी भी इराकी नागरिक पर हमला पूरे इराक पर हमले के बराबर माना जाएगा।
नेतन्याहू ने 26 सितंबर को UNGA में भाषण दिया। उनके भाषण के दौरान सभागार खाली हो गया; केवल इजरायली सदस्य ही वहां मौजूद थे और तालियां बजा रहे थे। भाषण के दौरान उन्होंने एक मानचित्र दिखाया और उन देशों का ज़िक्र किया जहां प्रतिरोधी (रेज़िस्टेंस) समूह सक्रिय हैं। उन्होंने जिन देशों का नाम लिया उनमें लेबनान, सीरिया और यमन के साथ इराक भी था। इराक कई वर्षों तक अमेरिका के आक्रमण के बाद युद्ध की स्थितियों से जूझता रहा है, इसलिए नेतन्याहू की यह टिप्पणी फिर से इराक में चिंता और हलचल पैदा कर रही है।
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इराक में कई सैन्य संगठन सक्रिय हैं और कहा जाता है कि इनमें से कई संगठन ईरान के ‘एक्सिस ऑफ़ रेसिस्टेंस’ से जुड़े हैं। इजरायल इन समूहों को अपने लिए खतरा मानता है और कुछ का आरोप है कि इसी के बहाने वह किसी और देश पर कार्रवाई करने की योजना बना रहा है।
इराकी मीडिया अल-मयान द्वारा उद्धृत राजनेता अबू मिताक अल-मसर ने नेतन्याहू की धमकियों को तर्कहीन और कमजोरी की निशानी बताया। उन्होंने कहा कि गाज़ा में निर्णायक जीत न मिलने और बंदियों की रिहाई न होने जैसी नाकामियों को छिपाने के लिए नेतन्याहू ऐसे बयान दे रहे हैं। अल-मसर ने यह भी चेतावनी दी कि इराक पर कोई भी हमला या कब्ज़ा इजरायल के लिए महँगा पड़ सकता है और उसे और गहरी मुश्किल में धकेल देगा।