ईरान को मिला इजरायल का 'खजाना', फोटो (सो. सोशल मीडिया)
तेहरान: ईरान में तबाही के बाद इजरायल वापस चला गया, लेकिन उसने तेहरान में एक ‘बड़ा खजाना’ छोड़ दिया है। आप सोच रहे होंगे कि युद्ध के दौरान इजरायल खजाना क्यों छोड़कर जाएगा? दरअसल, इजरायल ने ईरान में अपने सैकड़ों अत्याधुनिक ड्रोन छोड़ दिए हैं, जिन्हें अब ईरान रिवर्स इंजीनियरिंग के जरिए अपने लिए उपयोगी बना रहा है।
एक इजरायली अखबार ने रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के हवाले से बताया कि करोड़ों डॉलर मूल्य के ये ड्रोन गायब हो गए हैं। अब ईरान उन्हें अपने अगले युद्ध में इस्तेमाल करने के लिए तैयार कर रहा है। यह खबर सुनकर इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के लिए मुसीबत आना तय माना जा रहा है।
रिवर्स इंजीनियरिंग एक तकनीकी विश्लेषण की प्रक्रिया है, जिसमें किसी उत्पाद या डिवाइस को उसके मूल घटकों में अलग करके गहन अध्ययन किया जाता है। इस प्रक्रिया के माध्यम से यह समझने का प्रयास किया जाता है कि वस्तु किस प्रकार निर्मित हुई है, उसमें कौन-कौन सी सामग्रियों एवं तकनीकों का उपयोग हुआ है, साथ ही उसकी संरचनात्मक एवं कार्यात्मक डिजाइन क्या है।
इस प्रक्रिया के कई चरण होते हैं। उदाहरण के लिए, एक ड्रोन का विश्लेषण करते समय पहले उसे भौतिक रूप से खोलकर या उसके घटकों को स्कैन करके इलेक्ट्रॉनिक डेटा एकत्र किया जाता है। इसमें उसके फर्मवेयर, रडार प्रणाली, सेंसर्स और अन्य घटकों की कार्यप्रणाली का अध्ययन शामिल होता है। वैज्ञानिक और इंजीनियर इन घटकों पर गहन शोध करते हैं, जिसमें प्रोसेसर, मोटर्स, संचार चिप्स, कैमरा सिस्टम और एयरफ्रेम की सामग्री जैसे पहलुओं का गहन अध्ययन किया जाता है।
फिर भड़केगा मिडिल ईस्ट! ईरानी चेतावनी के बाद बढ़ा युद्ध का खतरा, मचा हड़कंप
ये सब कुछ होने के बाद, CAD (कंप्यूटर-एडेड डिजाइन) सॉफ्टवेयर की मदद से ड्रोन का डिजिटल मॉडल तैयार किया जाता है और फिर इस मॉडल की मदद से सिमुलेशन के ज़रिए यह जांचा जाता है कि ड्रोन की क्षमता में कैसे और कितनी बढ़ोतरी हुई है। फिर इसके अलग-अलग हिस्सों जैसे इंजन, पंखे और कंट्रोल सॉफ्टवेयर का निर्माण शुरू होता है।
कई बार तो इस प्रक्रिया के जरिए इससे भी कहीं अधिक नवीन उत्पाद बनाए जाते हैं। सीधे शब्दों में कहें तो रिवर्स इंजीनियरिंग वह तकनीक है जिसमें किसी बेहतरीन प्रोडक्ट की पूरी संरचना को समझकर, बिना किसी लाइसेंस की आवश्यकता के, उससे भी बेहतर नया उत्पाद तैयार किया जाता है और वह भी बिना किसी कानूनी अड़चन के।
FPV ड्रोन
रिपोर्ट्स के अनुसार, इजरायल ने मीडियम रेंज तक मार करने वाले हर्मेस (Hermes) ड्रोन तैनात किए थे, जिनका इस्तेमाल खुफिया जानकारी जुटाने और निगरानी के लिए किया जाता है। इसके साथ ही, उसने FPV मिनी क्वाडकॉप्टर ड्रोन भी भेजे थे। ये छोटे आकार के ड्रोन होते हैं जो विस्फोटकों से लैस होते हैं और पलक झपकते ही भारी तबाही मचाने में सक्षम होते हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध में इनका बड़े पैमाने पर उपयोग हो चुका है।
FPV और FP-wing ड्रोन हवा में आराम से प्रवेश कर इजरायली एयर डिफेंस सिस्टम को चकमा दे सकते हैं। लकड़ी और मेटल से बना यह मिश्रित एयरफ्रेम रडार की पकड़ से बाहर रह सकता है। हर्मेस जैसे ड्रोन लंबी दूरी तक निगरानी करने में सक्षम हैं और ये दुश्मन के मिसाइल ठिकानों पर लगातार नजर रख सकते हैं। S-171 Simorgh जैसे उन्नत ड्रोन युद्ध के समय एयर स्ट्राइक, इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर और मिसाइल लॉन्च जैसे मिशनों में अहम भूमिका निभा सकते हैं। यदि ईरान इन ड्रोन तकनीकों को पूरी तरह विकसित कर लेता है, तो न सिर्फ सैन्य बढ़त हासिल करेगा बल्कि इन्हें बेचकर आर्थिक लाभ भी कमा सकता है।