कॉन्सेप्ट फोटो (डिजाइन)
तेहरान: इजरायल और ईरान के बीच चल रहा भीषण युद्ध रुक चुका है। दोनों ही देश सीजफायर पर सहमत हो गए हैं। लेकिन जिस बात को लेकर यह जंग शुरू हुई, जिस मिशन को बर्बाद करने के लिए अमेरिका को भी ईरान के ऊपर बमबारी करनी पड़ी, खामेनेई उसे पूरी तरह से तबाह होने से बचाने में कामयाब हो गए!
दरअसल, 13 जून को इजरायल ने ईरान पर आक्रमण कर दिया है। नेतन्याहू ने हमले के बाद दावा किया कि ईरान परमाणु कार्यक्रम कर रहा है। हमारे अटैक का मकसद उसे परमाणु हथियार विकसित करने से रोकना है। इस जंग में अमेरिका ने भी इजरायल का साथ दिया, लेकिन खामेनेई ने ऐसा खेल किया कि दोनों की टेंशन अब भी जस की तस बनी हुई है।
एबीसी न्यूज की एक रिपोर्ट के मुताबिक ईरान 400 किलोग्राम यूरेनियम सुरक्षित कर ले गया है। इसे लेकर अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने भी कहा कि ईरान का 400 KG यूरेनियम कहां चला गया इसका कोई हिसाब नहीं है। वेंस की मानें तो जितना यूरेनियम गायब है उससे 10 परमाणु बम बनाए जा सकते हैं।
न्यूयॉर्क टाइम्स ने भी इजरायली अधिकारियों के हवाले से की गई एक रिपोर्ट में लिखा है कि ईरान ने हमलों से पहले ही 400 किलो यूरेनियम को किसी गुप्त जगह पर शिफ्ट कर दिया था। इन रिपोर्ट्स में किए गए दावे अगर सच है तो खामेनेई ने वाकई में बड़ा खेल कर दिया है।
अमेरिकी हमलों से पहले और बाद की सैटेलाइट तस्वीरें भी सामने आई हैं। हमलों से पहले फोर्डो परमाणु स्थल की सैटेलाइट तस्वीरों में प्लांट के बाहर 16 ट्रक दिखाई दे रहे थे। फोर्डो परमाणु स्थल पहाड़ों के अंदर 300 फीट गहराई में बना है। अमेरिकी हमले के बाद सामने आई तस्वीरों में ये ट्रक दिखाई नहीं दे रहे हैं।
गुप्त होता है परमाणु मिशन, फिर भी लीक होती है इन्फॉर्मेशन, कौन करता है निगरानी?
हमले से पहले दिख रहे ट्रक हमले के बाद कहां गए, यह सवाल अमेरिका और इजरायल के लिए तनाव का विषय बना हुआ है। इसराइल और अमेरिका को भरोसा है कि ईरान ने हमले से पहले यूरेनियम को ईरान की प्राचीन राजधानी इस्फ़हान में एक भूमिगत सुविधा में स्थानांतरित कर दिया था।
अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के प्रमुख राफेल ग्रॉसी ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को बताया कि इसराइली हमले से एक सप्ताह पहले यूरेनियम के भंडार देखे गए थे। उन्होंने तत्काल निरीक्षण की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि बढ़ते सैन्य तनाव इस आवश्यक कार्य में बाधा डाल रहे हैं, तथा ईरान को परमाणु हथियार प्राप्त करने से रोकने की कूटनीतिक संभावनाएं कमजोर हो रही हैं।