इजराइली हमले के बाद की तस्वीर (फोटो- सोशल मीडिया)
तेहरान: इजराइल के साथ 12 दिन तक चले संघर्ष में ईरान को भारी क्षति का सामना करना पड़ा। अब हालांकि दोनों देशों के बीच सीजफायर लागू हो चुका है। इसके बाद ईरानी सरकार ने इजराइली हमलों में मारे गए लोगों की नई संख्या जारी की है। सरकारी रिपोर्ट के अनुसार, इस संघर्ष में कम से कम 1,060 लोगों की जान गई है और यह आंकड़ा अभी और बढ़ सकता है।
ईरान के ‘फाउंडेशन ऑफ मार्टर एंड वेटरंस अफेयर्स’ के प्रमुख सईद ओहादी ने ईरानी सरकारी टेलीविजन को दिए गए एक इंटरव्यू में मृतकों की संख्या की जानकारी साझा की। उन्होंने बताया कि, इजराइल के साथ हुए जंग में अब तक दर्ज की गई मौतों की संख्या के आधार पर यह आंकड़ा 1,060 है, लेकिन कई लोग गंभीर रूप से घायल हैं, जिसके चलते मृतकों की संख्या बढ़कर 1,100 तक पहुंच सकती है।
ईरान ने इजराइल द्वारा 12 दिनों तक की गई बमबारी के प्रभावों को शुरू में जानबूझकर कम करके बताया था, हालांकि अब सीजफायर के बाद वह धीरे-धीरे इजरायली हमलों से मची तबाही का सच स्वीकार कर रहा है। इन हमलों से ईरान की वायु रक्षा प्रणाली बुरी तरह प्रभावित हुई है, लेकिन अब तक उसने अपनी सैन्य क्षति का पूरा ब्योरा सार्वजनिक नहीं किया है। वाशिंगटन स्थित एक मानवाधिकार संगठन के अनुसार, इस संघर्ष में अब तक कुल 1,190 लोगों की जान जा चुकी है, जिनमें 436 आम नागरिक और 435 सुरक्षाबलों के सदस्य शामिल हैं, जबकि करीब 4,475 लोग घायल हुए हैं।
Iran’s 🇮🇷 government issued a new death toll for its war with Israel 🇮🇱, saying at least 1,060 people were killed and warning that the figure could rise, presented by Saeed Ohadi, the head of Iran’s Foundation of Martyrs and Veterans Affairs, in an interview aired by Iranian… pic.twitter.com/9Vk2N6ZiZM
— Saad Abedine (@SaadAbedine) July 8, 2025
जंग के दौरान हुए नुकसान का विश्लेषण करें, तो दोनों पक्षों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। इजराइली हमलों ने ईरान को सबसे बड़ी क्षति उसके 14 परमाणु वैज्ञानिकों की जान लेकर की है। ये वैज्ञानिक ईरान के परमाणु कार्यक्रम की रीढ़ माने जाते थे। इनमे मरने से ईरान का परमाणु कार्यक्रम को भारी नुकसान हुआ है। मृतकों में रसायनशास्त्री, भौतिकशास्त्री और इंजीनियर शामिल हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इन हत्याओं से ईरान के परमाणु कार्यक्रम को अस्थायी झटका जरूर लगा है, लेकिन इसे पूरी तरह से रोकना आसान नहीं होगा।
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बता दें कि 13 जून 2025 को इजराइल ने “ऑपरेशन राइजिंग लायन” के तहत ईरान के परमाणु-सैन्य प्रतिष्ठानों पर बमबारी की। इसके जवाब में ईरान ने बैलिस्टिक मिसाइलें और ड्रोन हमले किए। 12 दिनों तक चली इसमें सैकड़ों कैपिटल्स प्रभावित, हजारों घायल और हजारों विस्थापित हुए। 24 जून को अमेरिका की मध्यस्थता में सीजफायर लागू हुआ।