ईरान की 'महाविनाश' मिसाइल तैयार, (डिजाइन फोटो)
तेहरान: अमेरिका ने इजरायल-ईरान संघर्ष में शामिल होते हुए रविवार को ईरान के परमाणु स्थलों पर हवाई हमले किए। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने घोषणा की कि अमेरिकी सेना ने ईरान के तीन परमाणु संयंत्रों—फोर्डो, नतांज और इश्फहान को निशाना बनाकर सफलतापूर्वक हमला किया है। उन्होंने दावा किया कि इन केंद्रों की प्रमुख यूरेनियम संवर्धन सुविधाएं पूरी तरह नष्ट हो चुकी हैं।
इस हमले के लिए अमेरिका ने अपने सबसे उन्नत और घातक B-2 स्टील्थ बॉम्बर का इस्तेमाल किया, जो दुनिया का एकमात्र ऐसा लड़ाकू विमान है जो फोर्डो जैसी भूमिगत परमाणु सुविधाओं को भेद सकता है। अमेरिकी रक्षा विभाग के अनुसार, इस ऑपरेशन में 6 बंकर-बस्टर बम गिराए गए, जो गहरे दबे हुए लक्ष्यों को तबाह करने में सक्षम हैं।
इस हमले के जवाब में ईरान ने अमेरिका की निंदा की है और चेतावनी दी है कि वह अपनी सुरक्षा के लिए किसी भी हमले का मुंहतोड़ जवाब देगा। विश्लेषकों का मानना है कि ईरान अब अपनी सबसे शक्तिशाली मिसाइलों से प्रतिशोध कर सकता है, जिससे यह संघर्ष और भी भयावह हो सकता है।
ईरान ने अभी तक अपने हमलों में गदर और इमाद जैसी पुरानी मिसाइलों के अलावा, खेबर शेकन मिसाइल का भी इस्तेमाल किया है। खेबर शेकन एक मध्यम दूरी की सॉलिड फ्यूल मिसाइल है, जो अपनी अत्यधिक गति के लिए प्रसिद्ध है। हालांकि, इजरायल के लिए सबसे बड़ी चुनौती फत्ताह-1 हाइपरसोनिक मिसाइल है, जो मैक 15 की रफ्तार से उड़ान भरती है और इसे रोकना बेहद मुश्किल है।
ईरान के इन हमलों से इजरायल के प्रमुख शहरों जैसे तेल अवीव, यरुशलम और बेयर शेवा में भारी तबाही हुई है। अमेरिकी हमले के जवाब में ईरान अपनी खोर्रमशहर मिसाइल भी दाग सकता है, जिससे इजरायल में और भी ज्यादा विनाश हो सकता है।
ईरान की खोर्रमशहर मिसाइल जिसका नाम ईरान ने खोर्रमशहर शहर के नाम पर रखा है। यह एक तरल-ईंधन वाली मिसाइल है, जो 1,500 किलोग्राम तक के वारहेड (विस्फोटक सामग्री) को ले जाने में सक्षम है। इस मिसाइल में मिडकोर्स मार्गदर्शन प्रणाली लगी है, जिसकी मदद से यह उड़ान के दौरान अपना रास्ता बदलकर लक्ष्य को सटीकता से भेद सकती है। इसकी मारक क्षमता लगभग 2,000 किलोमीटर तक है। इसके अलावा, इसे क्लस्टर बमों (छोटे विस्फोटकों के समूह) से भी लैस किया जा सकता है। बता दें कि इस मिसाइल के परीक्षण का वीडियो ईरानी रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) से जुड़े मीडिया ने पहले ही जारी किया था।
हालांकि, ईरान ने अभी तक किसी भी युद्ध में इस मिसाइल के इस्तेमाल का आधिकारिक दावा नहीं किया है। कुछ विश्लेषकों का मत है कि ईरान इस मिसाइल को रणनीतिक रूप से संभालकर रख रहा था, और अब अमेरिकी हमले के बाद इस्तेमाल करने की संभावना बढ़ गई है।