तेहरान से आया चौंकाने वाला अपडेट, (डिजाइन फोटो)
वांशिगटन: अमेरिका और इज़रायल द्वारा हाल में किए गए हमलों में ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों को निशाना बनाया गया। इसके प्रतिवाद में तेहरान ने अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के साथ सभी तकनीकी और निरीक्षण संबंधी सहयोग को पूरी तरह से रोक दिया है। इसका मतलब है कि अब वैश्विक समुदाय यह नहीं जान सकेगा कि ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम को किस दिशा और रफ्तार से आगे बढ़ा रहा है।
ईरान दावा करता है कि उसका परमाणु कार्यक्रम केवल ऊर्जा उत्पादन जैसे शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए है, लेकिन वास्तविकता यह है कि उसके पास पहले से इतना संवर्धित यूरेनियम मौजूद है, जो परमाणु हथियार बनाने की दहलीज तक पहुंच चुका है। एक रिपोर्ट के अनुसार, ईरान अब परमाणु बम बनाने से बस एक कदम दूर है, और निगरानी हटने के बाद यह जानना भी असंभव हो गया है कि वह यह आखिरी कदम कब उठाएगा।
तेहरान ने कहा है कि हालिया अमेरिकी और इज़रायली हमलों के बाद अब अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के निरीक्षकों की सुरक्षा की गारंटी नहीं दी जा सकती। ऐसे हालात में फिलहाल निगरानी गतिविधियों को दोबारा शुरू करना आसान नहीं है। इस बीच, ईरान के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन ने संसद द्वारा पारित उस कानून पर हस्ताक्षर कर दिए हैं, जिसके तहत अब IAEA के साथ सहयोग देश की सर्वोच्च राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की निगरानी में होगा।
अमेरिका ने इस कदम की आलोचना करते हुए इसे “गैर-जिम्मेदाराना” बताया है और कहा है कि ईरान ने शांति की राह पर लौटने का एक अहम मौका गंवा दिया है। वॉशिंगटन ने यह भी दोहराया कि वह किसी भी हालत में ईरान को परमाणु हथियार हासिल नहीं करने देगा।
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ईरान ने डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन की ओर से वार्ता की तत्काल पहल को सिरे से खारिज कर दिया है। वर्तमान हालात में तेहरान और वॉशिंगटन के बीच किसी तरह की कूटनीतिक बातचीत की संभावना न के बराबर रह गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर स्थिति इसी तरह बनी रही, तो ईरान का अगला कदम उसे परमाणु बम बनाने के और करीब ले जा सकता है।
वहीं, अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) ने इस पर कोई आधिकारिक बयान तो नहीं दिया है, लेकिन एजेंसी का कहना है कि वह ईरान से अधिकृत जानकारी मिलने की प्रतीक्षा कर रही है। उन्हें यह भी स्पष्ट नहीं है कि अब उनके निरीक्षकों को कौन-कौन सी परमाणु स्थलों तक पहुंच दी जाएगी और किन स्थलों तक नहीं।