श्रीलंका में भारत ने तेज किया 'ऑपरेशन सागर बंधु' राहत अभियान,(सांकेतिक तस्वीर, सो.सोशल मीडिया)
Cyclone Ditvaah In Sri Lanka: श्रीलंका में चक्रवात दितवाह के कारण आई भारी बारिश, बाढ़ और भूस्खलन से हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं। देश के कई हिस्सों में बाढ़ का पानी अभी भी कम नहीं हुआ है और नए क्षेत्रों में भूस्खलन के खतरे बने हुए हैं। इस बीच भारत ने ‘नेबरहुड फर्स्ट’ नीति के तहत अपना राहत एवं बचाव अभियान ऑपरेशन सागर बंधु तेज कर दिया है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को इस राहत मिशन से जुड़े बड़े अपडेट साझा किए।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने जानकारी दी कि भारतीय वायुसेना का एक और सी-17 ग्लोबमास्टर विमान कोलंबो पहुंचा है, जिसमें सड़क आवागमन बहाल करने के लिए बेली ब्रिज यूनिट्स भेजी गई हैं। विमान के साथ इंजीनियरों और चिकित्सा विशेषज्ञों सहित 25 सदस्यीय टीम भी श्रीलंका उतरी है, जो ग्राउंड ऑपरेशंस को गति दे रही है।
भारत की ओर से भेजी गई एनडीआरएफ टीमों ने सेदावट्टा और नाडीगामा क्षेत्रों में राहत अभियान को और तेज किया है। हाल ही में टीमों ने एक दृष्टिबाधित वरिष्ठ नागरिक और एक घायल महिला को सुरक्षित बाहर निकालकर मौके पर ही चिकित्सीय सहायता दी।
भारतीय उच्चायोग ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर बताया कि एनडीआरएफ लगातार “जीवनरक्षक कार्यों” में जुटी है और स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर प्रभावितों तक राहत पहुंचा रही है।
इससे पहले 28 नवंबर को, चक्रवात से आई व्यापक तबाही के बाद भारत ने तुरंत ऑपरेशन सागर बंधु शुरू किया था। इसके तहत आईएनएस विक्रांत और आईएनएस उदयगिरि श्रीलंका के तटों पर पहुंचे और फौरी राहत सामग्री वितरित की।
दोनों युद्धपोतों से तैनात हेलीकॉप्टरों ने प्रभावित इलाकों का हवाई सर्वेक्षण किया और खोज एवं बचाव कार्यों में महत्वपूर्ण योगदान दिया। भारतीय नौसेना के प्रवक्ता के अनुसार, इन मिशनों ने “हजारों लोगों की जान और जीवन-आवश्यक जरूरतों को बचाने में अहम भूमिका निभाई।”
इसके अतिरिक्त, आईएनएस सुकन्या 1 दिसंबर को त्रिंकोमाली पहुंचा, जहां उसने श्रीलंकाई प्रशासन को आवश्यक आपात राहत सामग्री सौंपी। भारतीय नौसेना का कहना है कि यह अभियान हिंद महासागर क्षेत्र में “फर्स्ट रिस्पॉन्डर” के रूप में भारत की भूमिका को और मजबूत करता है तथा भारत की “महासागर दृष्टि” और पड़ोसी-प्रथम नीति को और आगे बढ़ाता है।
उधर, श्रीलंका में चक्रवात दितवाह की तबाही का दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है। डेली मिरर की रिपोर्ट के अनुसार, अब तक मृतकों की संख्या 465 तक पहुंच गई है, जबकि 366 लोग अब भी लापता हैं। कंडी जिला सबसे अधिक प्रभावित रहा, जहां 118 मौतें दर्ज की गईं।
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कुल मिलाकर 1.5 मिलियन से अधिक लोग आपदा से प्रभावित हुए हैं, जबकि 61,000 से अधिक परिवारों के 2.32 लाख लोग राहत शिविरों में शरण लेने को मजबूर हैं। श्रीलंका सरकार ने हालात को “अभूतपूर्व मानवीय संकट” करार दिया है। भारत की त्वरित सहायता और राहत अभियान न सिर्फ मानवीय दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह श्रीलंका के साथ उसकी लंबे समय से चली आ रही मित्रता और विश्वास को भी मजबूत करता है।