भारत-रूस के बीच समझौता (फोटो- सोशल मीडिया)
India-Russia Space Cooperation: भारत और अमेरिका के बीच वर्तमान में रिश्तों में कुछ तनाव देखा जा रहा है, इसी बीच भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने एक ऐसा कदम उठाया है, जो अमेरिका को फिर गुस्से से लाल कर सकता है। ISRO ने रूसी कंपनियों को भारत में उन्नत अंतरिक्ष उपकरणों में निवेश करने और देश के विशाल बाजार का लाभ उठाने का निमंत्रण दिया है। यह जानकारी रूस में भारत के राजदूत विनय कुमार ने दी।
उन्होंने यह बयान राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस के मौके पर भारतीय दूतावास में आयोजित एक विशेष समारोह के दौरान दिया। राजदूत विनय कुमार ने कहा, “भारत सरकार ने अंतरिक्ष क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देने के लिए कई आकर्षक योजनाएं शुरू की हैं, जिससे एक अनुकूल उद्योग वातावरण तैयार हो रहा है।” भारत की इस पहल से अमेरिकी अंतरिक्ष तकनीक कंपनियों को प्रतिस्पर्धा में बड़ा झटका लग सकता है।
राजदूत ने भारत और रूस के दशकों पुराने अंतरिक्ष सहयोग को भी याद किया। उन्होंने बताया कि 1975 में भारत के पहले उपग्रह आर्यभट्ट का प्रक्षेपण सोवियत रॉकेट से हुआ था और 1984 में भारतीय अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा ने सोयूज टी-11 अंतरिक्ष यान से उड़ान भरी थी। साथ ही, उन्होंने गगनयान मानव अंतरिक्ष मिशन में रूस के साथ जारी सहयोग का भी उल्लेख किया।
विनय कुमार ने कहा कि भले ही अंतरिक्ष उद्योग ने हाल के दशकों में तेजी से विकास किया हो, लेकिन भारत में अंतरिक्ष विज्ञान की परंपरा प्राचीन वैदिक काल से जुड़ी हुई है। उन्होंने कहा, “आर्यभट्ट जैसे महान विद्वानों ने खगोलीय पिंडों की गति और उनके मानव जीवन पर प्रभाव का गहन अध्ययन किया था। आज, संचार से लेकर नौवहन तक, अंतरिक्ष भारत में हमारे दैनिक जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुका है।”
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इस कार्यक्रम में रूस की अंतरिक्ष एजेंसी रोस्कोस्मोस के अधिकारी और विशेषज्ञ भी उपस्थित थे, जो ISRO के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। इस अवसर पर भारतीय दूतावास द्वारा संचालित केन्द्रीय विद्यालय के छात्रों और जवाहरलाल नेहरू सांस्कृतिक केंद्र के कलाकारों ने अंतरिक्ष पर आधारित सांस्कृतिक प्रस्तुतियां भी दीं, जिससे कार्यक्रम का माहौल और भी रोचक हो गया।