लंदन में बांग्लादेशी दूतवास के बाहर प्रदर्शन (सोर्स- सोशल मीडिया)
killings of Hindus in Bangladesh: बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय के खिलाफ हिंसा का मुद्दा एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में है। हाल के दिनों में हिंदुओं की हत्याओं और उत्पीड़न की घटनाओं ने गंभीर चिंता पैदा की है। इसी क्रम में लंदन में भी विरोध प्रदर्शन आयोजित किया गया, जहां भारतीय और बांग्लादेशी हिंदू समुदाय के लोगों ने बांग्लादेश हाई कमीशन के बाहर शांतिपूर्ण तरीके से अपना आक्रोश व्यक्त किया।
लंदन में आयोतिज विरोध प्रदर्शन में प्रदर्शनकारियों ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। हालिया रिपोर्टों और ‘ह्यूमन राइट्स कांग्रेस फॉर बांग्लादेश माइनॉरिटीज’ (HRCBM) के खुलासे के अनुसार, कट्टरपंथी तत्व ‘ईशनिंदा’ को हथियार बनाकर मासूम हिंदुओं को निशाना बना रहे हैं।
बांग्लादेश में हिंदू समुदाय की स्थिति को लेकर लंबे समय से सवाल उठते रहे हैं। मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि कट्टरपंथी तत्व ईशनिंदा जैसे गंभीर आरोपों का दुरुपयोग कर अल्पसंख्यकों को निशाना बना रहे हैं। ह्यूमन राइट्स कांग्रेस फॉर बांग्लादेश माइनॉरिटीज (HRCBM) की रिपोर्ट के मुताबिक, झूठे आरोप लगाकर अल्पसंख्यकों को डराना, उनकी संपत्ति पर कब्जा करना और उन पर हिंसक हमले करना कट्टरपंथी समूहों की एक रणनीति बनती जा रही है।
#WATCH | Indian and Bangladeshi Hindu communities in London protest outside the Bangladesh High Commission in London against the killings of Hindus in Bangladesh pic.twitter.com/gNBz72GnDt — ANI (@ANI) December 27, 2025
इस संबंध में 18 दिसंबर को मयमनसिंह जिले के भालुका उपजिला में 27 वर्षीय हिंदू युवक दीपू दास की हत्या की घटना सामने आई। दीपू एक गारमेंट फैक्ट्री में काम करता था। उस पर ईशनिंदा का आरोप लगाए जाने के बाद भीड़ द्वारा हमला किए जाने की खबर ने देश-विदेश में आक्रोश पैदा किया।
इस घटना के बाद बांग्लादेशी प्रशासन ने कई लोगों को गिरफ्तार करने की बात कही है, लेकिन मानवाधिकार संगठनों का मानना है कि केवल गिरफ्तारियां पर्याप्त नहीं हैं, बल्कि ऐसी मानसिकता और व्यवस्था पर भी सवाल उठने चाहिए जो अल्पसंख्यकों को असुरक्षित बनाती है।
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दीपू दास की हत्या के बाद भारत सहित कई देशों में विरोध प्रदर्शन हुए और न्याय की मांग उठी। सोशल मीडिया के माध्यम से भी दुनिया भर में रहने वाले हिंदू समुदाय के लोगों ने अपनी चिंता और नाराजगी व्यक्त की है। यह पूरा मामला बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा, कानून के शासन और सामाजिक सहिष्णुता पर एक गंभीर प्रश्नचिह्न खड़ा करता है।