
तसनीम जारा (सोर्स- सोशल मीडिया)
Bangladesh NCP Crisis: बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के कार्यकारी चेयरमैन और पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के बेटे तारिक रहमान की देश वापसी के साथ ही बांग्लादेश की राजनीति में बड़ा घटनाक्रम सामने आया है। फरवरी में होने वाले आम चुनाव से पहले छात्र आंदोलन से उभरी नेशनल सिटीजन पार्टी (NCP) गंभीर अंदरूनी संकट में फंसती नजर आ रही है।
जानकारी के मुताबिक, यह संकट कट्टरपंथी जमात-ए-इस्लामी के साथ संभावित चुनावी गठबंधन को लेकर पैदा हुआ है, जिसने NCP की नई राजनीति और वैकल्पिक राजनीतिक शक्ति की छवि पर सवाल खड़े कर दिए हैं। शनिवार रात अचानक उभरे इस विवाद ने पार्टी को अंदर से हिला दिया। करीब 30 वरिष्ठ नेताओं ने संयुक्त ज्ञापन जारी कर जमात-ए-इस्लामी के साथ किसी भी तरह के गठबंधन का खुला विरोध किया।
इसके अलावा पार्टी की सीनियर जॉइंट मेंबर-सेक्रेटरी तसनीम जारा ने अपने पद से इस्तीफा देते हुए आगामी चुनाव में निर्दलीय रूप से लड़ने का ऐलान कर दिया। माना जा रहा है कि उनके इस्तीफे की मुख्य वजह भी यही गठबंधन विवाद है। NCP वही पार्टी है जो पिछले साल के ‘जुलाई विद्रोह’ के बाद छात्रों के नेतृत्व में उभरी थी और जिसे अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस का नैतिक समर्थन मिला था।
पार्टी ने खुद को अवामी लीग और बीएनपी से अलग एक नैतिक, लोकतांत्रिक और नई सोच वाला राजनीतिक विकल्प बताकर पेश किया था। लेकिन जमात-ए-इस्लामी के साथ बातचीत की खबरों ने उसी वैचारिक आधार को कमजोर कर दिया है। ज्ञापन में NCP नेताओं ने साफ कहा है कि जमात-ए-इस्लामी के साथ गठबंधन पार्टी की विचारधारा, जुलाई विद्रोह की भावना और लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है।
नेताओं ने जमात के 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान के विवादित इतिहास और उस पर लगे युद्ध अपराधों के आरोपों का हवाला देते हुए कहा कि ऐसी पार्टी से हाथ मिलाने से NCP की विश्वसनीयता को गंभीर नुकसान पहुंचेगा। इसके अलावा आरोप लगाया गया है कि जमात का छात्र संगठन ‘छात्र शिबिर’ पहले भी अन्य दलों में घुसपैठ कर भ्रम फैलाने और हिंसक घटनाओं का दोष दूसरों पर डालने की कोशिश करता रहा है।
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हालांकि NCP ने अभी तक जमात-ए-इस्लामी के साथ गठबंधन का औपचारिक ऐलान नहीं किया है, लेकिन स्थानीय मीडिया ने दावा है कि सीट-बंटवारे को लेकर बातचीत अंतिम चरण में है। जमात के महासचिव मिया गुलाम परवार ने भी दोनों दलों के बीच संवाद चलने की पुष्टि की है। ऐसे में यह विवाद आने वाले चुनावों से पहले बांग्लादेश की राजनीति की दिशा तय करने वाला साबित हो सकता है।






