
चीन का जीपीएस सिस्टम ठप। इमेज-एआई।
China News: चीन के पूर्वी शहर नानजिंग में हाल में अजीब घटना हुई। जियांगसू प्रांत की राजधानी नानजिंग में एक करोड़ लोग रहते हैं। 17 दिसंबर 2025 की शाम को 6 घंटे तक शहर में जीपीएस और बेइडौ सैटेलाइट नेविगेशन सिस्टम काम नहीं कर रहा था। शाम 4 बजे से रात 10 बजे तक यह समस्या रही। इस दौरान कार की नेविगेशन, फूड डिलीवरी, कैब बुकिंग और ड्रोन जैसी सेवाएं प्रभावित हो गईं। जो लोग आसपास की जगह से अनजान थे, वे यह पता नहीं कर सके कि उनकी लोकेशन क्या है। कुछ घंटों के लिए सबकुछ ठप पड़ गया था।
इंटरेस्टिंग इंजीनियरिंग की रिपोर्ट बताती है कि नानजिंग सैटेलाइट एप्लीकेशन इंडस्ट्री एसोसिएशन ने जांच के बाद बताया कि यह समस्या मोबाइल नेटवर्क की खराबी से नहीं, बल्कि ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS) के सिग्नल पर भारी दखल और दबाव डाला गया था। यह दखल सिर्फ लोगों के इस्तेमाल वाले जीपीएस और BeiDou के फ्रीक्वेंसी बैंड पर हुआ। इससे फोन या डिवाइस सैटेलाइट के सिग्नल को सही से पकड़ नहीं पाए। नतीजा हुआ कि जगह की जानकारी पूरी तरह गलत हुई या बिल्कुल नहीं मिली। यहां तक कि ऑफलाइन मैप वाले ऐप भी काम नहीं कर सके, क्योंकि जगह का पता लगाने को सैटेलाइट सिग्नल जरूरी होता है।
अधिकारियों ने यह नहीं बताया कि यह दखल किसने और क्यों किया। मगर, उन्होंने संकेत दिया कि किसी बड़े कार्यक्रम की सुरक्षा के लिए सिग्नल कंट्रोल किया गया हो तो यह सामान्य सुरक्षा नियमों के तहत आता है। कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि उस समय शहर में एक बड़ा कार्यक्रम चल रहा था, शायद इसी वजह से ऐसा हुआ। कार्यक्रम खत्म होने के बाद सिग्नल धीरे-धीरे सामान्य हो गए। सभी सेवाएं फिर से शुरू हो गईं। लोगों की नेविगेशन ऐप और जगह पर आधारित सेवाएं फिर ठीक काम करने लगीं।
बता दें, BeiDou चीन का अपना सैटेलाइट नेविगेशन सिस्टम है। पूरा नाम BeiDou नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (BDS) है। यह अमेरिका के जीपीएस की तरह काम करता है। यह दुनिया भर में जगह का पता लगाने, नेविगेशन और समय की सही जानकारी देता है। चीन ने इसे खुद बनाया है। यह तीन चरणों में विकसित हुआ। पहले सिर्फ चीन के लिए, फिर एशिया-प्रशांत क्षेत्र के लिए और 2020 में BeiDou-3 पूरा होने से पूरी दुनिया के लिए उपलब्ध हो गया।
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करीब 45 सैटेलाइट हैं। यह जीपीएस, ग्लोनास और गैलीलियो जैसे अन्य सिस्टम के साथ मिलकर काम करता है। यह चीन की सुरक्षा और विकास के लिए अहम माना जाता है। दुनिया भर के लोग इसे इस्तेमाल कर सकते हैं।






