अब कॉकरोच लड़ेंगे जंग! फोटो (सो. सोशल मीडिया)
कभी कल्पना की है कि जंग के मैदान में कॉकरोच दुश्मन की दीवारों में घुसकर उनकी बातें सुनें… वो भी माइक्रोफोन लगाए हुए? अगर नहीं, तो अब सोचिए, क्योंकि जर्मनी इस कल्पना को हकीकत में बदलने जा रहा है। जर्मनी की स्टार्टअप कंपनी Helsing एक अत्याधुनिक सेना विकसित कर रही है, जहां मानव कमांडो की जगह AI-संचालित रोबोटिक टैंक, समुद्र में गश्त लगाने वाली छोटी पनडुब्बियां और दीवारों में छिपकर जासूसी करने वाले कॉकरोच तैनात होंगे।
इस सेना में सैनिकों के हेलमेट के अंदर इंसानी दिमाग नहीं, बल्कि हाई-टेक डेटा सेंटर काम करेगा। यहां गोलाबारी मशीनगन से नहीं, बल्कि मशीन लर्निंग एल्गोरिदम के जरिए होगी।
जर्मनी के रक्षा मंत्री बोरिस पिस्टोरियस ने जब स्टार्टअप्स को खुला संदेश दिया कि “पैसे की कमी नहीं, हौसला है। अब बस दुनिया को हिलाना है”, तो तकनीकी कंपनियों ने इसे गंभीरता से ले लिया। इसके बाद ARX Robotics और Helsing जैसी स्टार्टअप्स तेजी से एक्टिव हो गईं। अब जर्मनी में ऐसा लगता है मानो टर्मिनेटर और टॉम एंड जेरी की दुनिया एक साथ हकीकत बन रही है।
ये कंपनियां जासूसी करने वाले कॉकरोच, AI-चालित टैंक और छोटी पनडुब्बियों जैसे हाईटेक हथियार तैयार कर रही हैं, जिन्हें अब देश की सैन्य रणनीति में भी शामिल किया जा रहा है। आपको जानकर ताज्जुब होगा कि यूक्रेन पर हमले के बाद रक्षा तकनीक में आई तेजी के चलते जर्मनी की हेल्सिंग कंपनी का वैल्यूएशन बढ़कर 12 अरब डॉलर तक पहुंच गया है।
साइबर इनोवेशन हब के प्रमुख स्वेन वेइजेनेगर ने कहा कि यूक्रेन युद्ध ने समाज की सोच में बदलाव लाया है और जिससे अब लोग रक्षा क्षेत्र में काम करने को लेकर पहले से ज्यादा सकारात्मक नजरिया अपना रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि आक्रमण के बाद से जर्मनी में सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर खुलकर चर्चा होने लगी है और इस दिशा में एक नई पारदर्शिता विकसित हुई है।
यह भी पढे़ें:- निकल गई सारी हेकड़ी, भारत से बात करने को तैयार पाक, शहबाज शरीफ का बड़ा यू-टर्न
ये कॉकरोच कोई साधारण कीड़े नहीं हैं, बल्कि खास एजेंट हैं जो दीवारों पर चढ़कर दुश्मनों की बातचीत को रिकॉर्ड कर सकते हैं। टारगेट को पता भी नहीं चलेगा कि सेंध कहां लगी है। ये माइक्रोफोन और सेंसर से लैस होते हैं और चुपचाप दुश्मन की सीमाओं में दाखिल होकर जासूसी कर सकते हैं। इसी के साथ, ARX Robotics आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से लैस खास टैंक भी तैयार कर रही है।
यह पहली बार है जब यूरोप, डिफेंस टेक्नोलॉजी पर अमेरिका से ज्यादा खर्च कर रहा है। जर्मनी अकेले 2029 तक 162 अरब यूरो लगाने की तैयारी में है। यह पूरी रकम हाईटेक सैन्य उपकरणों और सिस्टम्स पर खर्च की जाएगी, क्योंकि यूरोपीय देशों को अब समझ आ गया है कि आधुनिक युद्ध सिर्फ बंदूकों और बमों से नहीं लड़े जाते। अब वही देश युद्ध में आगे रहेगा, जो एल्गोरिदम और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में बढ़त हासिल कर लेगा।