H-1B फीस के चलते अमेरिका में लाखों नौकरियों पर खतरा (फोटो- सोशल मीडिया)
New H-1B Visa Fee: ट्रंप प्रशासन द्वारा एच-1बी वीजा के नए आवेदनों पर 100,000 का डाॅलर भारी शुल्क लगाने का प्रस्ताव अमेरिका में विदेशी कामगारों की संख्या पर बड़ा असर डाल सकता है। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, जेपी मॉर्गन चेज एंड कंपनी के अर्थशास्त्रियों का कहना है कि इससे हर साल करीब 66,000 वीजा कम जारी हो सकते हैं।
जानकारों का मानना है कि इस फैसले से अमेरिका में उच्च कौशल वाले विदेशी कर्मचारियों, खासकर भारतीय आईटी पेशेवरों, को सबसे ज़्यादा नुकसान होगा। वित्तीय वर्ष 2024 में जारी किए गए एच-1बी वीजाओं में से लगभग 71% भारतीय नागरिकों को मिले थे।
अब तक एच-1बी वीजा आवेदन शुल्क 215 से 5,000 डाॅलर के बीच होता था, जो कंपनी के आकार पर निर्भर करता था। लेकिन अब यह शुल्क सीधे 100,000 डाॅलर कर दिया गया है। यह नीति ट्रंप प्रशासन के उस प्रयास का हिस्सा है, जिसमें कहा गया है कि वीजा प्रणाली का दुरुपयोग रोका जाए और अमेरिकी कामगारों को प्राथमिकता दी जाए।
रिपोर्ट के मुताबिक, अगर कंपनियाँ यह भारी शुल्क चुकाने से पीछे हटती हैं, तो हर महीने औसतन 5,500 विदेशी कर्मचारियों के कार्य प्राधिकरण कम हो सकते हैं। साल भर में यह संख्या 66,000 से ज़्यादा हो सकती है। एक अन्य अनुमान के मुताबिक, इससे हर साल करीब 1,40,000 नई नौकरियाँ खत्म हो सकती हैं, क्योंकि बहुत सी अमेरिकी कंपनियाँ विदेशी प्रतिभाओं पर निर्भर हैं।
विशेष रूप से तकनीक, वित्त और स्वास्थ्य सेवा जैसे उच्च वेतन वाले क्षेत्रों में एच-1बी वीजा धारकों की जरूरत होती है। अब इन क्षेत्रों में वीजा प्राथमिकता मिल सकती है, जबकि शिक्षा जैसे कम वेतन वाले क्षेत्रों में कमी आ सकती है।
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हालांकि, नई फीस केवल नए वीजा आवेदनों पर लागू होगी। मौजूदा वीजा धारकों या नवीनीकरण करने वालों पर इसका असर नहीं पड़ेगा। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि इस नीति से कंपनियाँ विदेशी प्रतिभाओं को भारत या अन्य देशों में बैठाकर काम करने को मजबूर हो सकती हैं, क्योंकि अमेरिका में उन्हें रखना अब काफी महंगा साबित हो सकता है। एच-1बी वीजा पर फीस बढ़ाए जाने का सीधा असर भारत पर पड़ेगा। क्योंकि एच-1बी वीजा सा इस्तेमाल करने वालों से में सबसे ज्यादा भारतीय हैं।