भूकंप सांकेतिक तस्वीर, ( सो. सोशल मीडिया )
नई दिल्ली: राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र (एनसीएस) के मुताबिक, अफगानिस्तान में शुक्रवार को देर रात 4.6 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया। इस भूकंप का केंद्र जमीन से 125 किलोमीटर अंदर था। एनसीएस ने इसकी जानकारी एक्स के जरिए साझा की। इसी बीच, शनिवार सुबह उत्तराखंड के चमोली जिले में 3.3 तीव्रता का भूकंप आया, जिसका केंद्र 10 किलोमीटर की गहराई पर था। जिसकी पुष्टि भी एनसीएस ने एक्स पर पोस्ट साझा कर की है। इससे पहले, 8 जुलाई को उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में 3.2 तीव्रता का भूकंप आया था, जो कि दोपहर 1:07 बजे धरती के 5 किलोमीटर नीचे केंद्रित था।
मिली जानकारी के अनुसार, अफगानिस्तान में 17 जुलाई को रिक्टर स्केल पर 4.7 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया था। इससे पहले, 14 जुलाई को 4.0 तीव्रता और 10 जुलाई को 4.3 तीव्रता का भूकंप इस क्षेत्र में महसूस किया गया था।
ऐसे उथले भूकंप, जो पृथ्वी की सतह के करीब आते हैं, अधिक ऊर्जा छोड़ते हैं। इसी वजह से ये गहरे भूकंपों की तुलना में अधिक नुकसानदायक साबित होते हैं। गहरे भूकंप अपनी अधिकांश ऊर्जा सतह तक पहुंचने से पहले ही खो देते हैं, जबकि उथले भूकंप सतह पर तेज झटकों और अधिक कंपन के साथ इमारतों को गंभीर नुकसान पहुंचा सकते हैं।
अफगानिस्तान में अक्सर शक्तिशाली भूकंप आते रहे हैं, और रेड क्रॉस के अनुसार, हिंदू कुश पर्वतमाला एक भूगर्भीय रूप से सक्रिय क्षेत्र है, जहां हर साल भूकंपीय गतिविधियां होती हैं। यह क्षेत्र भारतीय और यूरेशियन टेक्टोनिक प्लेटों के बीच स्थित कई फॉल्ट लाइनों पर बसा है, जिनमें से एक प्रमुख फॉल्ट लाइन सीधे हेरात शहर से होकर गुजरती है।
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अफगानिस्तान भौगोलिक रूप से एक अत्यंत संवेदनशील क्षेत्र में स्थित है, जहां भारतीय और यूरेशियन टेक्टोनिक प्लेटों के बीच टकराव होता है। इस क्षेत्र में कई सक्रिय भ्रंश रेखाएं मौजूद हैं, जिनकी वजह से यहां बार-बार भूकंपीय गतिविधियां देखने को मिलती हैं।
संयुक्त राष्ट्र के मानवीय मामलों के समन्वय कार्यालय (UNOCHA) के अनुसार, अफगानिस्तान अक्सर भूकंप, भूस्खलन और मौसमी बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं का शिकार होता है। लगातार आने वाले भूकंप पहले से संघर्ष और अविकास झेल रहे कमजोर समुदायों को और अधिक प्रभावित करते हैं। इनके पास ऐसी आपदाओं से निपटने की क्षमता और संसाधन बहुत सीमित हैं, जिससे उनकी स्थिति और खराब हो जाती है।