'Genius Act', डोनाल्ड ट्रंप ने किए हस्ताक्षर, फोटो (सो. सोशल मीडिया)
वाशिंगटन: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को एक नए नियामक ढांचे से जुड़े विधेयक पर हस्ताक्षर किए, जो स्टेबलकॉइन (डॉलर-आधारित क्रिप्टोकरेंसी) को विनियमित करेगा। इस मौके पर उन्होंने घोषणा की कि उनकी सरकार जल्द ही कुछ प्रमुख व्यापारिक सौदों का घोषणा करेगी। उन्होंने संकेत दिया कि वे जल्द ही एक महत्वपूर्ण दस्तावेज जारी करेंगे, जिसमें 35-40 प्रतिशत के आयात शुल्क (टैरिफ) का प्रावधान होगा, और इसे एक प्रकार का व्यापारिक समझौता बताया।
उन्होंने आगे कहा कि वे बाद में फोन पर बात करेंगे और देखेंगे कि क्या कोई वैकल्पिक समझौता संभव है, जैसे कि अपने देश की अर्थव्यवस्था को व्यापार के लिए अधिक खोलना। स्टेबलकॉइन के लिए एक स्पष्ट नियामक ढांचा एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हो सकती है, जो डिजिटल संपत्तियों को रोजमर्रा के भुगतान और धन स्थानांतरण के विश्वसनीय साधन में बदलने का रास्ता खोल सकता है।
जीनियस एक्ट नामक इस विधेयक को 308 के मुकाबले 122 मतों से मंजूरी मिली। इसे आधे से ज्यादा रिपब्लिकन और कई डेमोक्रेटिक नेताओं का समर्थन प्राप्त हुआ। यह कानून क्रिप्टो समर्थकों के लिए एक महत्वपूर्ण सफलता माना जा रहा है, जो लंबे समय से इसे कानूनी दर्जा दिलाने और स्पष्ट नियामक दिशा-निर्देशों की मांग कर रहे थे। इस मौके पर ट्रंप ने कहा कि यह कानून आपके समर्पण और मेहनत का फल है।
स्टेबलकॉइन को इस तरह बनाया गया है कि उनकी कीमत स्थिर बनी रहे, आमतौर पर 1 स्टेबलकॉइन = 1 अमेरिकी डॉलर के बराबर रखी जाती है। इनका इस्तेमाल खासकर क्रिप्टो ट्रेडिंग में तेजी से बढ़ रहा है, क्योंकि ये एक टोकन से दूसरे टोकन में पैसे स्थानांतरित करने का आसान जरिया बन गए हैं। उद्योग जगत को उम्मीद है कि आने वाले समय में इनका उपयोग आम लोगों के बीच भी त्वरित भुगतान के लिए बड़े पैमाने पर होने लगेगा।
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उपभोक्ता हितों की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए, इस प्रस्ताव में यह व्यवस्था की गई है कि यदि किसी स्टेबलकॉइन जारी करने वाली कंपनी दिवालिया हो जाती है, तो सर्वप्रथम सिक्का धारकों को उनकी राशि वापस दी जाएगी। इसके अलावा, इन जारीकर्ताओं के लिए आवश्यक होगा कि वे धन शोधन (मनी लॉन्ड्रिंग) रोकथाम और आतंकवादी गतिविधियों से जुड़े लेन-देन पर नियंत्रण संबंधी विनियमों का सख्ती से अनुपालन करें।
जीनियस एक्ट के समर्थक इस पहल की प्रशंसा करते हैं, क्योंकि यह क्रिप्टोकरेंसी क्षेत्र के एक महत्वपूर्ण पहलू को वैधता प्रदान करने का पहला स्पष्ट प्रयास है। इससे न केवल उपभोक्ताओं को सुरक्षा प्राप्त होगी, बल्कि पारंपरिक वित्तीय कंपनियों के लिए इस क्षेत्र में प्रवेश के रास्ते खुलेंगे और डिजिटल करेंसी बाजार को विस्तार मिलेगा। इससे जुड़े लोगों का मानना है कि यह कानून नई संभावनाओं के दरवाज़े खोलेगा। कई नए जारीकर्ता इससे जुड़ेंगे, जिससे उपभोक्ताओं के पास विकल्प बढ़ेंगे। इसका नतीजा यह होगा कि भुगतान प्रणालियों में प्रतिस्पर्धा और नवाचार को बढ़ावा मिलेगा।