अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप व क्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा (फोटो- सोशल मीडिया)
वाशिंगटन डीसी: व्हाइट हाउस की कूटनीतिक गोपनीयता अब बीते जमाने की बात लगती है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की राजनीतिक शैली ने कूटनीति को रियलिटी शो में बदल दिया है। पहले यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की के साथ उनकी ऑन-कैमरा बहस चर्चा में रही, और अब दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा के साथ ऐसा ही हुआ। ट्रंप ने कैमरे के सामने ही उन पर श्वेत किसानों की हत्या को लेकर सवाल दाग दिए। ये घटनाक्रम न सिर्फ व्हाइट हाउस की परंपराओं को तोड़ रहा है, बल्कि वैश्विक राजनयिक समीकरणों को भी प्रभावित कर रहे है।
पारंपरिक अमेरिकी राष्ट्रपतियों की डिप्लोमेसी पर्दे के पीछे होती थी। कैमरे केवल ओपनिंग स्टेटमेंट के लिए रहते थे, असली बातचीत प्रेस के जाने के बाद होती थी। लेकिन ट्रंप इस परंपरा को तोड़कर, सार्वजनिक मंच पर विदेशी नेताओं से टकराव दिखा रहे हैं। इससे उनकी छवि तो सही बन रही है, लेकिन इससे अमेरिका की विश्वसनीयता और कूटनीतिक संबंधों पर गंभीर सवाल भी उठ रहे हैं।
व्हाइट हाउस की डिप्लोमेसी अब सबके सामने
डोनाल्ड ट्रंप की राजनीति का एक नया चेहरा सामने आ रहा है, जिसमें गोपनीय मीटिंग्स अब कैमरों की मौजूदगी में टकराव में बदल रही हैं। यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की के साथ पहले हो चुकी तीखी ऑन-कैमरा बातचीत के बाद अब ट्रंप ने दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति रामाफोसा को निशाने पर लिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि वहां श्वेत किसानों की हत्या हो रही है और यह मुद्दा ट्रंप ने कैमरे के सामने उठाकर सबको चौंका दिया। इससे पहले कभी भी वाइट हाउस में इतनी संवेदनशील चर्चा खुले तौर पर नहीं हुई थी।
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क्या ट्रंप परंपरा को तोड़ रहे
ट्रंप की शैली में न तो पर्दे हैं और न ही लिहाज। वे राष्ट्रपति रहते हुए भी किम जोंग की चिट्ठियों को “लव लेटर” कहकर सार्वजनिक कर चुके हैं। जर्मनी की चांसलर मर्केल से कैमरे पर हाथ नहीं मिलाना भी चर्चा में रहा था। अब जब रामाफोसा को कैमरे के सामने टोक दिया गया, तो उनके प्रेस सचिव को सामने आकर सफाई देनी पड़ी कि कुछ विषय ऐसे होते हैं जो गोपनीयता के दायरे में रहने चाहिए। ट्रंप की रणनीति भले उनके वोटबेस को अपील करे, लेकिन इससे अंतरराष्ट्रीय रिश्तों की गरिमा पर सवाल उठना तय है।