ट्रंप के C5+1 प्लान से पुतिन-जिनपिंग की बढ़ी टेंशन (सोर्स- सोशल मीडिया)
Trump Hosting C5+1 Countries Leaders: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप गुरुवार, 6 नवंबर 2025 को वाशिंगटन डीसी में आयोजित वार्षिक शिखर सम्मेलन में पांच मध्य एशियाई देशों उज्बेकिस्तान, कजाकिस्तान, किर्गिजस्तान, ताजिकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान के राष्ट्राध्यक्षों की मेजबानी करेंगे। यह ग्रुप C5+1 के नाम से जाना जाता है, जिसकी स्थापना 2015 में उज्बेकिस्तान के समरकंद में पहली बैठक के दौरान हुई थी। इस मंच का उद्देश्य व्यापार, ट्रांसपोर्ट, ऊर्जा और संचार के क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाना है।
ट्रंप इस बैठक के जरिये रूस और चीन को स्पष्ट संदेश देना चाहते हैं कि अमेरिका मध्य एशिया में अपनी भूमिका मजबूत कर रहा है। इन सभी देशों के रूस और चीन से पारंपरिक संबंध हैं, लेकिन अमेरिका अब उनके साथ रणनीतिक साझेदारी बढ़ा रहा है। ट्रंप के दूसरे कार्यकाल के पहले छह महीनों में अमेरिका ने मध्य एशिया के साथ 12.4 अरब डॉलर के व्यावसायिक समझौते किए हैं, जिनमें रेअर अर्थ मिनरल्स, सुरक्षा और विमानन क्षेत्र शामिल हैं।
रेअर अर्थ मिनरल्स के क्षेत्र में चीन का अब तक वर्चस्व रहा है, लेकिन ट्रंप प्रशासन इन देशों के साथ नए समझौते कर अमेरिका के लिए वैकल्पिक आपूर्ति श्रृंखला विकसित करना चाहता है। कजाकिस्तान ने अप्रैल 2025 में करागांडी क्षेत्र में सेरियम, लैंथेनम, नियोडिमियम और यिट्रियम के विशाल भंडार खोजे हैं, जिनका उपयोग स्मार्टफोन और कंप्यूटर उपकरणों में होता है।
इन भंडारों का अनुमान करीब 2 करोड़ टन लगाया गया है, जो चीन के कुल भंडार का लगभग आधा है। यदि अमेरिका इन संसाधनों पर साझेदारी कर लेता है, तो चीन पर उसकी निर्भरता लगभग समाप्त हो जाएगी और वैश्विक सप्लाई चेन पर अमेरिकी वर्चस्व स्थापित हो सकता है।
साल 2023 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान C5 देशों के नेताओं से मुलाकात की थी, जिसमें सुरक्षा, आतंकवाद, साइबर खतरों और नशीले पदार्थों की तस्करी को लेकर सहयोग की चर्चा हुई थी। अब ट्रंप उसी सहयोग को आगे बढ़ाने और उसे आर्थिक एवं रणनीतिक स्तर पर बदलने की दिशा में काम कर रहे हैं।
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रूस, जो इन देशों से ऐतिहासिक रूप से जुड़ा रहा है, भी अपने प्रभाव को बनाए रखने की कोशिश कर रहा है। लेकिन ट्रंप की यह पहल न केवल चीन की बढ़ती पकड़ को चुनौती देती है, बल्कि रूस को भी मध्य एशिया में अलग-थलग करने की दिशा में कदम है।