चीन का HQ-16 सिस्टम, फोटो (सो. सोशल मीडिया)
बीजिंग: चीन ने भारत के साथ चल रही वार्ता के बीच लद्दाख क्षेत्र में पैंगोंग त्सो झील के निकट HQ-16 वायु रक्षा प्रणाली तैनात कर दी है, जिसे एक गंभीर और चिंता पैदा करने वाला कदम माना जा रहा है। सैटेलाइट से ली गई ताजा तस्वीरों में यह हवाई सुरक्षा प्रणाली झील के किनारे स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही है। यह घटनाक्रम ऐसे वक्त सामने आया है जब राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल हाल ही में चीन दौरे से लौटे हैं और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह रूस में एससीओ सम्मेलन में भाग ले रहे हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम न केवल क्षेत्रीय सामरिक संतुलन को प्रभावित कर सकता है, बल्कि भारत-चीन सीमा पर हुए समझौतों का भी उल्लंघन है।
चीन ने पैंगोंग झील के पास HQ-16 एयर डिफेंस सिस्टम की तैनाती से पहले ही वहां बड़ी संख्या में सैनिकों की तैनाती कर दी थी और सैन्य बुनियादी ढांचे को भी और अधिक मजबूत किया है। पिछले वर्ष अगस्त में यह खबर सामने आई थी कि चीन ने पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारों के बीच एक पुल का निर्माण पूरा करके उसे operational बना दिया है। इस पुल के माध्यम से चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) अपने सैनिकों और टैंकों को तेजी से तैनात कर पाएगी, जिससे उसकी सैन्य गतिविधियों की गति बढ़ जाएगी।
पैंगोंग त्सो झील लद्दाख क्षेत्र में समुद्र तल से करीब 14,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। यह झील लंबी, पतली और बहुत गहरी है, और भारत तथा चीन की सीमा पर फैली हुई है। इसका लगभग एक-तिहाई हिस्सा भारत के नियंत्रण में है, जबकि शेष दो-तिहाई भाग चीन के तिब्बत क्षेत्र में आता है।
झील के उत्तरी हिस्से में “फिंगर्स” नाम की पहाड़ियां हैं। भारत का सीमा क्षेत्र फिंगर 8 के आसपास से होकर गुजरता है, लेकिन भारत का नियंत्रण फिंगर 4 तक है। वहीं, चीन फिंगर 2 तक अपना दावा करता है।
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यह वायु रक्षा प्रणाली 40 से 70 किलोमीटर की सीमा के भीतर दुश्मन के हवाई हमलों को नाकाम करने में सक्षम है। यह प्रणाली युद्धक विमानों, हेलिकॉप्टरों, क्रूज मिसाइलों, ड्रोनों तथा कुछ निर्देशित मिसाइलों सहित विभिन्न प्रकार के वायु खतरों का पता लगाकर उन्हें मार गिरा सकती है। इसके अलावा, यह एक साथ कई लक्ष्यों को ट्रैक करते हुए उन्हें प्रभावी रूप से नष्ट करने की क्षमता रखती है।
इसकी मिसाइलों को मोबाइल लॉन्चर पर लगाया जाता है, जिससे इसे तेजी से तैनात किया जा सकता है। एक लॉन्चर में 4 मिसाइलें एक साथ तैनात की जा सकती हैं। यह प्रणाली एक 3D रडार से लैस है, जो स्वचालित रूप से लक्ष्यों को ट्रैक करता है और मिसाइलों को निर्देशित करने का काम करता है।