डोनाल्ड ट्रंप, शी जिनपिंग (सोर्स- सोशल मीडिया)
US-China Tariff War: अमेरिका और चीन के बीच जारी व्यापारिक तनाव अब एक अहम मोड़ पर पहुंच गया है। सितंबर 2025 में चीन ने पहली बार सात सालों में अमेरिका से एक भी मीट्रिक टन सोयाबीन नहीं खरीदी। यह तब है जब पिछले साल इसी महीने चीन ने अमेरिका से करीब 1.7 मिलियन टन सोयाबीन आयात किया था।
चीन के इस कदम से अमेरिकी किसानों को भारी आर्थिक नुकसान होने की आशंका जताई जा रही है। अब चीन ने अपना रुख ब्राजील और अर्जेंटीना की ओर मोड़ लिया है, जिससे अमेरिका की सोयाबीन निर्यात व्यवस्था पर सीधा असर पड़ा है। चीन के इस कदम से अमेरिका में ट्रंप प्रशासन की मुसीबतें और बढ़ सकती हैं।
ब्राजील से चीन का सोयाबीन आयात 29.9% बढ़कर 10.96 मिलियन टन तक पहुंच गया है, जो कुल आयात का लगभग 85% है। वहीं, अर्जेंटीना से आयात में 91.5% की वृद्धि हुई है, जो अब 1.17 मिलियन टन तक पहुंच गया है।
जानकारों का मानना है कि यह कदम दोनों देशों के बीच गहराते ट्रेड टेंशन का नतीजा है। अमेरिका के लिए यह स्थिति खासकर उन किसानों के लिए संकटपूर्ण हो सकती है, जिनकी जीविका मुख्य रूप से सोयाबीन निर्यात पर टिकी है। चीन के इस फैसले से अमेरिकी कृषि क्षेत्र को अरबों डॉलर के नुकसान का सामना करना पड़ सकता है।
अमेरिका और चीन के बीच व्यापार वार्ताएं फिर से तेज हो गई हैं। हालांकि, नई टैरिफ धमकियों और निर्यात प्रतिबंधों की आशंकाएं अभी भी बनी हुई हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने हाल ही में भरोसा जताया है कि सोयाबीन को लेकर दोनों देशों के बीच कोई न कोई समझौता जल्द सामने आ सकता है।
अगर बातचीत सफल नहीं हुई, तो यह ट्रेड वॉर सिर्फ राजनीतिक मुद्दा नहीं रहेगा, बल्कि यह सीधे अमेरिकी किसानों के लिए आर्थिक आपदा का रूप ले सकता है।
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हालांकि इसका नुकसान सिर्फ अमेरिका को नहीं होगा, बल्कि इसकी चपेट में चीन भी आ सकता है। इसलिए अगले साल 2026 की शुरुआत में ही चीन को सप्लाई संकट का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि तब ब्राजील में सोयाबीन की फसल तैयार नहीं पाती है।